लैंड पूलिंग पॉलिसी किसानों के साथ सरासर धोखा है। तीन काले कानून लागू करते वक्त केंद्र सरकार ने भी उन कानूनों को बढ़िया बताया था। रोज बयान दिए जाते थे कि कई किसान संगठन उसके समर्थन में है। लैंड पूलिंग पॉलिसी को किसान हितैषी बताने के लिए ऐसी ही ड्रामेबाजी हो रही है। सरकार अपने लोगों को खड़ा करके पॉलिसी को किसान हितैषी बता रही है लेकिन न तो हमने काले कानूनों को लागू होने दिया था और न हीं लैंड पूलिंग पॉलिसी में किसानों की जमीन हथियाने देंगे, चाहे इसके लिए हमें अपनी जान ही क्यों न देनी पड़ी जाए। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने सोमवार को प्रैस कांफ्रैंस में यह बातें कहीं। डल्लेवाल ने कहा कि 7 अगस्त को जोधां में किसान एकत्रित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री खुद वहां आकर देख लें कि किसान पॉलिसी के हक में हैं या विरोध में।
किसानों को अंधेरे में रखकर लूटने की कोशिश
डल्लेवाल ने कहा कि यदि लैंड पूलिंग पॉलिसी में कोई खोट नहीं था, तो सरकार ने उसमें बदलाव क्यों किए। इससे साफ है कि भोले-भाले किसानों को अंधेरे में रखकर लूटने की कोशिश की जा रही है। मोहाली में भी मुङो कई किसान मिले, जिनकी 2011 में पूलिंग में किसानों की जमीन ली गई थी लेकिन उन्हें आज तक प्लाट नहीं मिले। उनकी आमदनी का जरिया बंद हो चुका है, जबकि वह बच्चों की पढ़ाई व शादी पर खर्च तक नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों को प्लाटों में कंस्ट्रक्शन न करने पर 500 रुपर प्रतिदिन जुर्माने का डर दिखाया जा रहा है। जिस किसान की जमीन ही उसके हाथ से चली गई और उसकी आमदन का जरिया ही छिन गया, वह कंस्ट्रक्शन कैसे करेगा। यदि कुछ साल कंस्ट्रक्शन न की तो जुर्माने के रूप में प्लाट भी उसके हाथ से चला जाएगा।
दिल्ली की लड़ाई सबने एकसाथ मिलकर लड़ी
किसान संगठनों की एकता के सवाल पर डल्लेवाल ने कहा कि सबके वैचारिक मतभेद हो सकते हैं लेकिन दिल्ली की लड़ाई सबने एकसाथ मिलकर लड़ी और जीती भी। तब भी सबसे पहले किसान संगठनों के बीच एकता के प्रयास हमने शुरू किए थे। हम आज भी एकता के पक्ष में है, और एकता के प्रयास में लगे हैं। संगठनों के बीच एकता जरूर होगी, चाहे वह मिनिमम कॉमन प्रोग्राम, तालमेल या किसी और रूप में हो। एक सवाल पर डल्लेवाल ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा वाले भी हमारे भाई ही हैं। उन्हें 7 अगस्त के जोधां के कार्यक्रम में आना चाहिए।