दिल्ली के कालकाजी मंदिर में प्रसाद बांटने को लेकर हुए विवाद में एक सेवादार की बेरहमी से हत्या कर दी गई।
दिल्ली के कालकाजी मंदिर में प्रसाद बांटने को लेकर हुए विवाद में एक सेवादार की बेरहमी से हत्या कर दी गई। इस घटना के बाद दिल्ली की सियासत गरमा गई है। इस मामले पर अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने पूछा क्या दिल्ली में कोई सुरक्षित है।
केजरीवाल का बीजेपी सरकार पर हमला
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर लिखा, “क्या कालकाजी मंदिर के अंदर सेवादार की हत्या करने से पहले इन बदमाशों के हाथ नहीं कांपे? अगर यह कानून-व्यवस्था की विफलता नहीं है, तो और क्या है? भाजपा के चार इंजनों ने दिल्ली को इस हालत में पहुंचा दिया है कि अब ऐसी घटनाएँ मंदिरों में भी हो रही हैं। क्या दिल्ली में कोई सुरक्षित है या नहीं?” आप पार्टी के दिल्ली अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने भी पुलिस पर सवाल उठाते हुए कहा कि पुलिस जनता को डराती-धमकाती है, जबकि चोरों और गुंडों को डर नहीं है। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली में हालात दिन-ब-दिन बिगड़ रहे हैं और पुलिस सिर्फ़ राजनीति में लगी रहती है।
क्या हुआ था कालकाजी मंदिर में?
दिल्ली पुलिस के मुताबिक मृतक का नाम योगेंद्र सिंह (35) था, जो उत्तर प्रदेश के हरदोई का रहने वाला था और पिछले 14-15 साल से कालकाजी मंदिर में सेवा कर रहा था। शुक्रवार रात करीब 9:30 बजे पुलिस को पीसीआर कॉल मिली। जांच में सामने आया कि कुछ लोग मंदिर में दर्शन के लिए आए थे और उन्होंने योगेंद्र से ‘चुन्नी प्रसाद’ मांगा। जब योगेंद्र ने उन्हें कुछ देर इंतजार करने को कहा, तो बहस शुरू हो गई। मामला इतना बढ़ गया कि आरोपियों ने लाठियों और घूंसे-लातों से उस पर हमला कर दिया। योगेंद्र को तुरंत एम्स ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
एक आरोपी गिरफ्तार, बाकी फरार
पुलिस ने बताया कि बीएनएस की धारा 103(1)/3(5) के तहत मामला दर्ज किया गया है। एक आरोपी, अतुल पांडे (30), निवासी दक्षिणपुरी को स्थानीय लोगों ने मौके पर पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया। बाकी आरोपियों की पहचान कर ली गई है और उन्हें पकड़ने के प्रयास जारी हैं।
आंखों-देखी गवाही
मंदिर के ही एक अन्य सेवादार राजू ने बताया, “करीब 10-15 लोग उसे धर्मशाला से ले गए थे। उनके पास लोहे की रॉड और लाठियां थीं और उन्होंने उसे पीट-पीटकर मार डाला। मृतक का नाम योगेश है। वह उन्हें प्रसाद देने ही वाला था, लेकिन जब उसने कुछ देर इंतजार करने को कहा तो उन्होंने उसे धमकाना शुरू कर दिया। ये लोग जब भी मंदिर आते थे, आक्रामक रवैया अपनाते थे और हमसे उम्मीद करते थे कि हम उन्हें तुरंत सब दे दें।”