पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं।
पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। राज्यभर से कुल 90 मामलों की पुष्टि हुई, जिनमें से आठ ताज़ा मामले सामने आए। सबसे अधिक घटनाएं अमृतसर से दर्ज की गई हैं, जहाँ अब तक 51 बार पराली जलाई जा चुकी है। इसके चलते सरकार ने अब कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है।
सख्त कार्रवाई की शुरुआत
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अमृतसर के बाद तरनतारन में 11, पटियाला में 10, मलेरकोटला में 4, कपूरथला में 3, बरनाला और होशियारपुर में 2-2, जबकि बठिंडा, फरीदकोट, फिरोजपुर, जालंधर और एसएएस नगर में एक-एक मामला सामने आया है।
प्रशासन ने 47 मामलों में कुल ₹2.25 लाख का जुर्माना ठोका है, जिसमें से ₹1.75 लाख की राशि पहले ही वसूली जा चुकी है। इसके अलावा सीआरपीसी की धारा 223 के तहत 49 किसानों पर एफआईआर दर्ज की गई है। भू-अभिलेखों में की गई “रेड एंट्री” के चलते अब संबंधित किसान न तो अपनी ज़मीन बेच सकते हैं, न गिरवी रख सकते हैं और न ही किसी प्रकार का कृषि ऋण ले सकते हैं।
उपग्रह से निगरानी, फिर भी बेअसर सख्ती
15 सितंबर से सरकार ने सैटेलाइट मॉनिटरिंग सिस्टम के ज़रिए पराली जलाने की घटनाओं पर नज़र रखना शुरू कर दिया है। बावजूद इसके, हालात नियंत्रण में नहीं आ पा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार की सख्ती के बावजूद जागरूकता और वैकल्पिक उपायों की कमी के चलते किसान अभी भी पराली जलाने को मजबूर हैं।
प्रदूषण में इज़ाफा, सेहत पर असर
पराली जलाने का सीधा असर वायु गुणवत्ता पर पड़ रहा है। रविवार को बठिंडा का AQI 175 दर्ज किया गया, जो “मध्यम” (येलो ज़ोन) श्रेणी में आता है। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि लगातार इस स्तर की हवा में रहने से श्वसन संबंधी रोगियों और हृदय के मरीजों की हालत बिगड़ सकती है।