भारत और अमेरिका के बीच हालिया व्यापारिक तनाव और H-1B वीजा जैसे संवेदनशील मुद्दों के बीच एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक पहल देखने को मिली है।
भारत और अमेरिका के बीच हालिया व्यापारिक तनाव और H-1B वीजा जैसे संवेदनशील मुद्दों के बीच एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक पहल देखने को मिली है। भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के इतर मुलाकात की। यह बैठक ऐसे समय हुई है जब दोनों देशों के बीच व्यापारिक मोर्चे पर खटास बढ़ती दिख रही है।
भारत वाशिंगटन के लिए विशेष साझेदार
रुबियो-जयशंकर की इस उच्चस्तरीय बातचीत में व्यापार, रक्षा, ऊर्जा सहयोग, फार्मास्यूटिकल सेक्टर और ‘क्रिटिकल मिनरल्स’ जैसे अहम क्षेत्रों पर चर्चा हुई। अमेरिकी विदेश विभाग की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि “भारत वाशिंगटन के लिए एक विशेष रणनीतिक साझेदार है।” रुबियो ने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका भारत के साथ सहयोग को और व्यापक बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।
विदेश मंत्री जयशंकर का बयान
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने इस मुलाकात के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “विदेश मंत्री रुबियो के साथ उपयोगी और उद्देश्यपूर्ण चर्चा हुई। हमने कई द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। हमारी प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में निरंतर सहयोग की आवश्यकता पर सहमति बनी है। संपर्क में बने रहेंगे।”
H-1B वीजा पर बढ़ी चिंताएं
भारतीय पेशेवरों के लिए H-1B वीजा एक महत्वपूर्ण मुद्दा बना हुआ है। ट्रंप प्रशासन द्वारा इस वीजा कैटेगरी में कठोरता लाने और कुछ कंपनियों पर दबाव बनाने से भारतीय IT सेक्टर पर असर पड़ा है। हालिया वर्षों में वीजा की मंजूरी दर में गिरावट और प्रोसेसिंग में देरी ने भारतीय टेक प्रोफेशनल्स की चिंताएं बढ़ाई हैं।
राजनीतिक बयानबाजी में सकारात्मकता
हालांकि, इस बीच दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व की बयानबाजी से सकारात्मक संकेत भी मिल रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हालिया बयानों में यह स्पष्ट किया है कि दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी मजबूत बनी हुई है और व्यापार वार्ताओं को फिर से शुरू करने की दिशा में काम हो रहा है।
व्यापार तनाव: मुख्य वजहें क्या हैं?
हाल के महीनों में भारत-अमेरिका संबंधों में व्यापारिक तनाव उस वक्त और गहरा गया जब अमेरिका ने भारत से रूसी कच्चे तेल की खरीद के चलते 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया। इसके चलते भारत पर कुल अमेरिकी टैरिफ 50% तक पहुंच गया है। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यह कदम रूस पर दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है ताकि यूक्रेन युद्ध को रोका जा सके।