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सेना ने न केवल देश की संप्रभुता की रक्षा की बल्कि भारत की गौरवशाली विरासत को भी संजोया : Punjab Governor

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वाज्र कोर के गोल्डन एरो डिवीजन ने 30 सितंबर, 2025 को पंजाब के असल उत्तर में पूरे सम्मान और गौरव के साथ 1965 के भारत-पाक युद्ध की डायमंड जुबली

वाज्र कोर के गोल्डन एरो डिवीजन ने 30 सितंबर, 2025 को पंजाब के असल उत्तर में पूरे सम्मान और गौरव के साथ 1965 के भारत-पाक युद्ध की डायमंड जुबली मनाई। पैटन टैंकों की कब्रगाह के रूप में विख्यात यह ऐतिहासिक युद्धक्षेत्र एक बार फिर राष्ट्रीय स्मृति और गौरव का केंद्र बन गया। पंजाब के माननीय राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। वरिष्ठ सैन्य अधिकारी, युद्ध के पूर्व सैनिक, वीर नारियाँ, प्रशासनिक गणमान्य व्यक्ति, छात्र और बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक इस अवसर के साक्षी बने। इस कार्यक्रम में असल उत्तर और बरकी की लड़ाइयों में उनके अटूट साहस और सर्वोच्च बलिदान को श्रद्धांजलि दी गई, जिसने 1965 के युद्ध का रुख मोड़ दिया और भारत को विजय दिलाई।
कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद, परमवीर चक्र (मरणोपरांत) को विशेष श्रद्धांजलि अर्पित की गई, जिनकी अद्वितीय वीरता और साहस पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा। अपने संबोधन में, माननीय राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने भारतीय सेना के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि सेना ने न केवल देश की संप्रभुता की रक्षा की है, बल्कि भारत की गौरवशाली विरासत को भी संजोया है। उन्होंने अभिलेखागार-सह-संग्रहालय और हमीद गैलरी के उद्घाटन को 1965 के शौर्य को अमर करने वाला कदम बताया और कहा कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए शिक्षा और प्रेरणा का स्नेत बनेगा।
उन्होंने सीमा पर्यटन को बढ़ावा देने और नागरिकों को वीरों की भूमि से जोड़ने की पहल के लिए सेना और भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांस्कृतिक विरासत न्यास की भी सराहना की। माननीय राज्यपाल ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि पूरे देश को भारतीय सेना पर भरोसा है कि वह हर चुनौती का सामना कर सकती है, चाहे वह पारंपरिक हो या नई। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे भारत अमृत काल की ओर बढ़ रहा है, सेना राष्ट्रीय सुरक्षा की रीढ़ बनी रहेगी, एकता को मजबूत करेगी और युवाओं को साहस, अनुशासन और निष्ठा के साथ देश की सेवा करने के लिए प्रेरित करेगी।
समारोह के दौरान, माननीय राज्यपाल ने अभिलेखागार-सह-संग्रहालय का उद्घाटन किया, जो 1965 के युद्ध के इतिहास, कलाकृतियों और वीरता की कहानियों को संजोए रखेगा। हामिद गैलरी भी राष्ट्र को समर्पित की गई, जो सी.क्यू.एम.एच. अब्दुल हमीद, परमवीर चक्र की वीरता की गाथा को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाएगी। इसके अतिरिक्त, युद्ध नायकों और वीर नारियों को उनके बलिदान और योगदान के लिए सम्मानित किया गया। उत्तर प्रदेश में आयोजित हीरक जयंती समारोह ने भारतीय सेना और भारत के लोगों के बीच अटूट बंधन को और मजबूत किया। वीरता और शहादत की इस भूमि पर आयोजित यह कार्यक्र म बलिदान के स्मरण, सैन्य परंपराओं के उत्सव और भविष्य के संकल्प का प्रतीक बन गया।

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