देश की रक्षा क्षमताओं को और मज़बूत करने की दिशा में भारत सरकार ने डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) की बैठक में लगभग ₹67,000 करोड़ के रक्षा सौदों को मंज़ूरी दे दी है।
देश की रक्षा क्षमताओं को और मज़बूत करने की दिशा में भारत सरकार ने डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) की बैठक में लगभग ₹67,000 करोड़ के रक्षा सौदों को मंज़ूरी दे दी है। इस ऐतिहासिक फैसले से भारतीय थल सेना, वायु सेना और नौसेना को एकसाथ कई अत्याधुनिक हथियार, निगरानी उपकरण और रक्षा प्रणालियां मिलेंगी, जिससे तीनों अंगों की रणनीतिक तैयारी और मारक क्षमता में जबरदस्त इजाफा होगा।
यह मंजूरी आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए दी गई है, जिसमें अधिकांश रक्षा उपकरण स्वदेशी रूप से विकसित किए जाएंगे। सरकार का स्पष्ट इरादा है – न केवल अत्याधुनिक युद्ध तकनीक को अपनाना, बल्कि उसे देश के भीतर बनाना।
भारतीय थल सेना: रात में भी दुश्मन पर नजर और वार
भारतीय थल सेना की ताकत में इज़ाफा करने के लिए कई नई प्रणालियों को हरी झंडी मिली है, जिसमें खास तौर पर थर्मल इमेजिंग आधारित ड्राइवर नाइट साइट्स शामिल हैं। यह उन्नत तकनीक BMP इंफेंट्री फाइटिंग व्हीकल्स में लगाई जाएगी, जिससे सेना को कम रोशनी और धुंध में भी अद्वितीय ड्राइविंग और मिशन निष्पादन की क्षमता मिलेगी।
इन उपकरणों से रात के अंधेरे में भी सैनिक सटीक निशाना साध सकेंगे और तेज़ी से मोर्चा संभालने में सक्षम होंगे। यह प्रणाली भारतीय सेना को 24×7 कॉम्बैट रेडी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
भारतीय नौसेना: समुद्र में दिखेगा ‘Made in India’ की ताकत
नौसेना की रक्षा रणनीति को और मज़बूत करने के लिए कॉम्पैक्ट ऑटोनोमस सर्फेस क्राफ्ट (CASC) की खरीद की मंजूरी दी गई है। ये छोटे लेकिन स्मार्ट सर्फेस वेसल पूरी तरह से स्वचालित और मानव रहित होंगे, जो शत्रु पनडुब्बियों और समुद्री घुसपैठियों की पहचान कर सकेंगे। इसके साथ ही, नौसेना को मिलेगा:
-ब्रह्मोस फायर कंट्रोल सिस्टम और लॉन्चर
-BARAK-1 प्वाइंट डिफेंस मिसाइल सिस्टम का उन्नत संस्करण
ये प्रणालियां भारतीय नौसेना को समुद्री युद्ध और रक्षा अभियानों में रफ्तार, सटीकता और आत्मनिर्भरता देंगी। खास बात यह है कि इनमें से अधिकांश प्रणालियां देश में ही डिज़ाइन और निर्मित की जाएंगी।
भारतीय वायु सेना: ऊंचाई से निगरानी, नज़दीक से वार
वायुसेना की भूमिका आधुनिक युद्ध में सबसे निर्णायक हो गई है, और इसी को ध्यान में रखते हुए उसे नई तकनीक से लैस किया जा रहा है। सरकार ने हरी झंडी दी है:
-माउंटेन रडार सिस्टम की खरीद को, जिससे ऊंचे क्षेत्रों में निगरानी और हवाई हमलों का जवाब देना आसान होगा।
-SAKSHAM और SPYDER वेपन सिस्टम के अपग्रेड को, जो वायुसेना के रिएक्शन टाइम और फायर पावर को बूस्ट करेंगे।
इनके साथ ही इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) को भी स्पाइडर सिस्टम के साथ एकीकृत किया जाएगा, जिससे देश का एयर डिफेंस नेटवर्क बेहद मजबूत होगा और मल्टी-लेयर सुरक्षा प्रणाली बनेगी।
तीनों सेनाओं को मिलेंगे आधुनिक ड्रोन
तीनों अंगों को मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (MALE) रिमोटली पायलेटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम (RPAs) मिलेंगे। ये ड्रोन:
-लंबी दूरी तक निगरानी कर सकते हैं
-हथियार और पेलोड ले जा सकते हैं
-सटीक स्ट्राइक मिशन में उपयोग किए जा सकते हैं
-24 घंटे युद्ध तैयार मोड में काम कर सकते हैं
-इन ड्रोन्स की तैनाती से भारत की निगरानी और हमला क्षमता, दोनों में नई क्रांति आने की उम्मीद है।
C-17, C-130J और S-400 सिस्टम का रखरखाव भी प्राथमिकता में
इसके अतिरिक्त, DAC ने C-17 ग्लोबमास्टर और C-130J सुपर हरक्यूलिस ट्रांसपोर्ट विमानों के रखरखाव के लिए जरूरी समझौते और फंडिंग को भी मंजूरी दी है। साथ ही S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की मेंटेनेंस और लॉजिस्टिक्स को भी मजबूत किया जाएगा, जिससे भारत की रणनीतिक हवाई सुरक्षा में कोई ढील न रहे।