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दीपिका पादुकोण ने छात्रों की मानसिक सेहत को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का किया स्वागत

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देश में छात्रों की मानसिक सेहत को लेकर एक बड़ा और निर्णायक मोड़ सामने आया है।

देश में छात्रों की मानसिक सेहत को लेकर एक बड़ा और निर्णायक मोड़ सामने आया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में छात्रों की मानसिक भलाई के लिए जारी की गई दिशा-निर्देशों को बॉलीवुड अभिनेत्री और मेंटल हेल्थ एक्टिविस्ट दीपिका पादुकोण ने एक “ऐतिहासिक पहल” करार दिया है।
दीपिका ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर द लिव लव लाफ फाउंडेशन (TLLLF) की ओर से जारी गाइडलाइंस का सार साझा किया, जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आधारित है। उन्होंने लिखा, “यह छात्रों की मानसिक भलाई की दिशा में एक अहम और ऐतिहासिक कदम है। अब समय आ गया है कि शैक्षणिक संस्थान सिर्फ शिक्षा नहीं, बल्कि छात्रों के समग्र मानसिक विकास को भी प्राथमिकता दें।”
कोर्ट का बड़ा फैसला: मानसिक स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार माना
26 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता शामिल थे, ने छात्रों की मेंटल हेल्थ को संविधान के अनुच्छेद 21 — जीवन और व्यक्तिगत गरिमा का अधिकार — का अभिन्न हिस्सा माना। कोर्ट ने इस दौरान 15 व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए, जो देशभर के सभी शैक्षणिक संस्थानों पर लागू होंगे, जब तक संसद इस मुद्दे पर कोई ठोस कानून नहीं बनाती। इस ऐतिहासिक सुनवाई की पृष्ठभूमि में 2024 में विशाखापत्तनम में हुई एक 17 वर्षीय नीट छात्रा की आत्महत्या का मामला था, जिसमें कोर्ट ने CBI जांच की भी मंजूरी दी।
छात्रों की भलाई के लिए व्यापक सुधार
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जिन शिक्षण संस्थानों में 100 से अधिक छात्र हैं, वहां कम से कम एक प्रशिक्षित मानसिक स्वास्थ्य काउंसलर, साइकोलॉजिस्ट या सोशल वर्कर की नियुक्ति अनिवार्य होगी। वहीं छोटे संस्थानों को बाहरी मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल्स के साथ जुड़ना होगा।
इसके अलावा, सभी स्कूलों और कॉलेजों को एक कॉमन मेंटल हेल्थ पॉलिसी अपनानी होगी, जो ‘उम्मीद ड्राफ्ट’, ‘मनोदर्पण योजना’ और ‘नेशनल सुसाइड प्रिवेंशन स्ट्रैटेजी’ पर आधारित हो।
पूरे स्टाफ को साल में दो बार मानसिक स्वास्थ्य की ट्रेनिंग देनी होगी।
बुलींग, रैगिंग और उत्पीड़न की शिकायतों के लिए सुरक्षित और गोपनीय सिस्टम सुनिश्चित करना होगा।
माता-पिता को नियमित मेंटल हेल्थ सेशन्स के माध्यम से जागरूक करना होगा।
एक गुमनाम रिपोर्टिंग सिस्टम और उसकी वार्षिक रिपोर्ट बनानी होगी।
छात्रों पर अनावश्यक परीक्षा-दबाव न हो, इसके लिए एग्ज़ाम स्ट्रक्चर में बदलाव करना होगा।
“सिर्फ नंबरों के पीछे नहीं भागना चाहिए”: कोर्ट का संदेश
कोर्ट ने साफ कहा कि शिक्षा सिर्फ अंकों तक सीमित नहीं होनी चाहिए। खेल, कला, पर्सनैलिटी डेवेलपमेंट और सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों को बराबर महत्व दिया जाए। इसके साथ ही यह भी निर्देश दिया कि अगर किसी संस्थान की लापरवाही से छात्र आत्महत्या जैसा कदम उठाता है, तो प्रशासन को कानूनी और रेगुलेटरी जिम्मेदारी उठानी होगी।
दीपिका पादुकोण की भूमिका
दीपिका पादुकोण पिछले कई वर्षों से मानसिक स्वास्थ्य को लेकर मुखर रही हैं। उनकी लिव लव लाफ फाउंडेशन इस दिशा में जागरूकता फैलाने और लोगों को समर्थन देने का कार्य कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए दीपिका ने न केवल इसका स्वागत किया, बल्कि यह भी उम्मीद जताई कि इससे छात्रों को मानसिक रूप से मजबूत और सुरक्षित वातावरण मिलेगा।

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