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Tarantaran Fake Encounter में पूर्व एसएसपी और डीएसपी समेत 5 दोषी

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तरनतारन में 1993 में हुए फर्जी एनकाऊंटर से जुड़े मामले में सीबीआई की अदालत ने पूर्व एसएसपी और डीएसपी समेत 5 लोगों को दोषी ठहराया है।

 तरनतारन में 1993 में हुए फर्जी एनकाऊंटर से जुड़े मामले में सीबीआई की अदालत ने पूर्व एसएसपी और डीएसपी समेत 5 लोगों को दोषी ठहराया है। वहीं, परिवारों ने कोर्ट के इस फैसले पर संतुष्टि जताई है। सोमवार को अदालत में इन्हें सजा सुनवाई जाएगी। दोषी करार दिए गए अधिकारियों में रिटायर्ड एसएसपी भूपेंद्रजीत सिंह, रिटायर्ड इंस्पैक्टर सूबा सिंह, रिटायर्ड डीएसपी द¨वदर सिंह और रिटायर्ड इंस्पैक्टर रघुबीर सिंह व गुलबर्ग सिंह शामिल हैं। दोषी ठहराए जाने के बाद सभी को गिरफ्तार कर लिया गया है।
7 नौजवानों को 2 मुठभेड़ों में मरा हुआ दिखाया गया
बचाव पक्ष के वकीलों ने बताया कि यह मामला 1993 का है। जिसमें 7 नौजवानों को 2 अलग-अलग पुलिस मुठभेड़ों में मरा हुआ दिखाया गया था। दोषियों ने उन युवकों को उनके घरों से उठाकर कई दिनों तक अवैध हिरासत में रखा और उन पर अमानवीय अत्याचार किए। उन्हें घरों में ले जाकर जबरन रिकवरी करवाई गई और थानों में यातनाएं दी गईं। इसके बाद तरनतारन में थाना वैरोवाल और थाना सहराली में दो अलग-अलग फर्जी पुलिस मुठभेड़ों की एफआईआर दर्ज की गई। उन्हें झूठे एनकाऊंटर में मार दिया।
4 एसपीओ पद पर थे तैनात, परिजनों को उनकी अस्थियां तक नहीं दी गईं
जिन 7 लोगों को पुलिस ने मार दिया था, उनमें से 4 पंजाब सरकार में एसपीओ (स्पैशल पुलिस ऑफिसर) के पद पर कार्यरत थे। उन्हें आतंकवादी बताकर फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया था। करीब 33 साल बाद आज इस मामले में अदालत का फैसला आया है। इस केस में 10 पुलिस कर्मियों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें से 5 की ट्रायल के दौरान मौत हो गई। जिन लोगों को मारा गया, उनके परिवारों को न तो उनकी मृत देह (डैड बॉडी) सौंपी गई, न ही उनसे कोई संपर्क किया गया। यहां तक कि परिजनों को उनकी अस्थियां तक नहीं दी गई। इतना ही नहीं, मृतकों के घरों में अंतिम धार्मिक संस्कार (पाठ आदि) तक करने नहीं दिए गए। हालांकि पुलिस ने कई कहानियां बनाई। पुलिस एक युवक मंगल सिंह को रिकवरी के लिए ले जा रही थी, तभी उसके साथियों ने पुलिस पर हमला कर दिया। जवाबी कार्रवाई में मंगल सिंह समेत 3 लोग मारे गए। दूसरे मामले में, पुलिस ने बताया कि नाका लगाया हुआ था। कुछ लोग आए, लेकिन वे रुके नहीं। इस दौरान दोनों तरफ से फायरिंग हुई और तीनों लोग मारे गए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह मामला सीबीआई को सौंपा गया। सीबीआई ने जांच कर 10 लोगों के खिलाफ याचिका दायर की। ट्रायल के दौरान 5 लोगों की मौत हो गई।
जब पति को मारा, उस समय गर्भवती थी
मृतक सुखदेव सिंह की विधवा ने बताया कि जब मेरे पति को पुलिस ने उठाकर एनकाऊंटर किया था, उस समय मैं गर्भवती थी। उनके दुनिया से चले जाने के बाद मेरा बच्चा हुआ। करीब एक महीने बाद पता चला कि उनका एनकाऊंटर हो गया है। इसके बाद परिवार ने कई मुश्किलें ङोली। मैंने मजदूरी करके बच्चों को पाला। सरकारी नौकरी भी नहीं मिली। पूरी उम्र लोगों से मांगकर गुजारा चलाया है। मृतक छिंदा सिंह की पत्नी नरेंद्र कौर ने बताया कि उसके पति को दोषी पुलिस वाले घर की छत से ले गए थे। उसके बाद की लाश भी नहीं दी गई। पति की मौत के बाद परिवार ने काफी मुश्किल उठाई है। आज उन्हें लगभग 33 साल बाद इंसाफ मिला है।

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