एशिया कप 2025 में टीम इंडिया ने अपने धमाकेदार प्रदर्शन से दर्शकों का दिल जीत लिया है।
एशिया कप 2025 में टीम इंडिया ने अपने धमाकेदार प्रदर्शन से दर्शकों का दिल जीत लिया है। पाकिस्तान जैसे मजबूत प्रतिद्वंदी को धूल चटाने के बाद अब सबसे बड़ा मुकाबला फाइनल में है। लेकिन इस सफलता के बीच कुछ ऐसी कमियां हैं, जिन पर टीम को खासतौर से ध्यान देना होगा, ताकि खिताबी जश्न पूरे देश के लिए सुनिश्चित हो सके।
1. फील्डिंग में सुधार की जरूरत
टूर्नामेंट में भारत की सबसे बड़ी चिंता टीम की फील्डिंग रही है। अब तक 12 कैच छूट चुके हैं, जिनमें से 8 हाल के दो मैचों में गिरे हैं। आसान कैच भी टीम के लिए चुनौती बने हुए हैं, जिससे विपक्षी खिलाड़ियों को दोबारा खेलने का मौका मिल रहा है। दुबई के फ्लडलाइट्स की आदत तो टीम को हो चुकी है, इसलिए अब कोई बहाना नहीं चलेगा। फाइनल में कैच ड्रॉप करना भारी पड़ सकता है।
2. बल्लेबाजी में सिर्फ अभिषेक और शुभमन
भारतीय बल्लेबाजी फिलहाल अभिषेक शर्मा और शुभमन गिल की मजबूती पर निर्भर है। दोनों ने अच्छी शुरुआत देकर टीम को मजबूत स्थिति दी है। खासतौर पर अभिषेक की आक्रामक बल्लेबाजी ने टीम को ऊंचाई पर पहुंचाया है। लेकिन फाइनल जैसे दबाव वाले मुकाबले में केवल इन दोनों पर भरोसा रखना खतरनाक साबित हो सकता है। मध्यक्रम को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी ताकि शुरुआती विकेट गिरने पर टीम डगमगाए नहीं।
3. कप्तान सूर्यकुमार यादव की फॉर्म चिंता का विषय
टीम इंडिया के कप्तान सूर्यकुमार यादव पिछले कुछ हफ्तों से बल्लेबाजी में संघर्ष कर रहे हैं। उनकी पिछली 9 पारियों में औसत और स्ट्राइक रेट दोनों अपेक्षा से कम रहे हैं। हालांकि पूरी टीम ने सामूहिक तौर पर अच्छा प्रदर्शन किया है, लेकिन कप्तान का बल्ला ‘फॉर्म’ में लौटना टीम की जीत की राह आसान करेगा। फाइनल में उनकी परफॉर्मेंस अहम साबित हो सकती है।
4. ओवर-एक्सपेरिमेंटेशन से बचाव जरूरी
बांग्लादेश के खिलाफ मैच में नंबर-3 पर शिवम दुबे को खिलाना और संजू सैमसन को बाहर रखना सही फैसला नहीं रहा। बड़े मुकाबले में टीम को एक स्पष्ट और तय रणनीति के साथ मैदान में उतरना होगा। फाइनल में कोई भी अचानक बदलाव टीम की मानसिकता को प्रभावित कर सकता है। खिलाड़ियों को अपनी भूमिकाएं स्पष्ट होनी चाहिए, जिससे टीम में स्थिरता बनी रहे।
5. बेंच स्ट्रेंथ का संतुलित और समझदारी से इस्तेमाल
टीम इंडिया के पास मजबूत बेंच स्ट्रेंथ है, जो फाइनल जैसे हाई-प्रेशर मैच में काम आ सकती है। लेकिन खिताबी मुकाबले में भरोसेमंद और आजमाए हुए खिलाड़ियों पर ही ज्यादा निर्भर रहना ही सही रणनीति होगी। टीम मैनेजमेंट को खिलाड़ियों की भूमिकाओं का सही आकलन कर संतुलित बदलाव करने होंगे ताकि टीम की रफ्तार पर कोई फर्क न पड़े।