हिमाचल प्रदेश में आवारा पशुओं के कारण हो रही सड़क दुर्घटनाओं पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है।
हिमाचल प्रदेश में आवारा पशुओं के कारण हो रही सड़क दुर्घटनाओं पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। पंजाबी गायक राजवीर सिंह जवंदा की सड़क दुर्घटना में मौत के बाद यह मामला और ज़्यादा गंभीर हो गया है। कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। यह कार्रवाई लॉयर्स फॉर ह्यूमन राइट्स इंटरनेशनल (LFHRI) द्वारा दायर जनहित याचिका (PIL) के बाद की गई, जिसमें आवारा पशुओं से जुड़े खतरे और सरकार की लापरवाही को उजागर किया गया है।
याचिका में क्या कहा गया?
याचिका में आरोप है कि सरकार गौ-उपकर (cow cess) से हर साल 100 करोड़ रुपए से अधिक जुटा रही है, लेकिन इसका सही इस्तेमाल नहीं हो रहा। यह गौ-उपकर शराब की हर बोतल पर 10 रुपए, बिजली के बिलों में भी 10 रुपए गौ-उपकर के रुप में लिया जा रहा है। ये पैसा आवारा गायों और पशुओं की देखभाल के लिए जा रहा है।
जमीनी सच्चाई ?
9,000 से अधिक आवारा मवेशी अभी भी खुले में घूम रहे हैं। सिर्फ 20,000 को ही गौशालाओं में रखा गया है। कई जगहों पर मवेशी हाईवे जाम कर देते हैं और घातक एक्सीडेंट होते हैं। आवारा पशु और बंदर फसलें नष्ट कर रहे हैं, जिससे कई एकड़ जमीन बंजर हो गई है और किसानों को सालाना 1,500 रुपए से 2,000 रुपए करोड़ तक का नुकसान हो रहा है।
गौ-उपकर का पैसा कैसे खर्च किया जा रहा
सरकार बताए कि गौ-उपकर का पैसा कैसे खर्च किया जा रहा है। आवारा पशुओं के लिए ठोस पुनर्वास योजना बनाए। सड़क सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं। याचिकाकर्ता ने कहा कि जब सरकार पैसा इकट्ठा कर रही है, तो जनता की सुरक्षा और पशु कल्याण सुनिश्चित करना उसकी जिम्मेदारी है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस गंभीर मसले पर क्या ठोस कदम उठाती है, क्योंकि यह सिर्फ एक राज्य का मुद्दा नहीं, जन सुरक्षा और जवाबदेही का सवाल बन गया है।
क्या हुआ था?
27 सितंबर को गायक राजवीर जवंदा की मोटरसाइकिल आवारा पशुओं से टकरा गई थी। वह गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें सिर और रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोटें आई थीं। हादसा बद्दी के पास हुआ, जब वह शिमला जा रहे थे। लगभग 11 दिनों तक फोर्टिस अस्पताल में इलाज के बाद 8 अक्टूबर को डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। हॉस्पिटल के हेल्थ बुलेटिन के मुताबिक, राजवीर की मौत का कारण मल्टी-ऑर्गन फेल होने से बताई गई।