आजकल पंजाब में मारवाड़ी घोड़ों का प्रजनन कुछ ही वंशों तक सीमित रह गया है।
आजकल पंजाब में मारवाड़ी घोड़ों का प्रजनन कुछ ही वंशों तक सीमित रह गया है। इसके कारण वंशों की विविधता लगातार कम होती जा रही है, जो भविष्य में मारवाड़ी घोड़ों की गुणवत्ता और सुंदरता के लिए एक बड़ा खतरा बनती दिख रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मौजूदा जीन पूल में नई वंशावलियां नहीं जोड़ी गईं, तो यह नस्ल सुंदरता और ताकत के मामले में कमतर रह सकती है।
इन उभरते हालातों में, ‘सैम बहादुर’ जैसे रत्न की उपलब्धता इस कमी को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
पंजाब में ‘सैम बहादुर’ का आगमन मारवाड़ी घोड़ों के लिए एक नई शुरुआत है। उनका खून शुद्ध और सच्ची मारवाड़ी नस्ल का प्रतीक है, जो राजस्थान की प्राचीन विरासत और आधुनिक संरचना का एक सुंदर मिश्रण है। मारवाड़ी घोड़ा अपनी सुंदरता, भव्यता और अनूठी शैली के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। इस नस्ल को आगे बढ़ाने के लिए नई और मौलिक वंशावलियों की आवश्यकता है।
अब सैम बहादुर ‘शहजादपुर अस्तबल’ में मौजूद है और प्रजनन के लिए उपलब्ध है। वह राजस्थान की अछूती और राजसी मारवाड़ी नस्ल को सामने ला रहे हैं और पंजाब के अश्व जगत में एक नया रंग भर रहे हैं। ‘सैम बहादुर’ पुरानी परंपरा और नए उत्साह का संगम बनकर पंजाब पहुचें हैं।