दवाओं की गुणवत्ता को लेकर एक बार फिर चिंता बढ़ गई है।
देशभर में दवाओं की गुणवत्ता को लेकर एक बार फिर चिंता बढ़ गई है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की सितंबर 2025 की रिपोर्ट ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, जांचे गए सैकड़ों दवा सैंपलों में से 112 नमूने गुणवत्ता परीक्षण में असफल पाए गए हैं। इनमें तीन खांसी की सिरप भी शामिल हैं, जिनमें से एक को नकली (Spurious) घोषित किया गया है।
ये दवाएँ हृदय रोग, कैंसर, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, अस्थमा, संक्रमण, दर्द, सूजन, एनीमिया और मिर्गी जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज में उपयोग की जाती हैं, जिससे स्वास्थ्य सुरक्षा पर सवाल उठ खड़े हो गए हैं।
पंजाब से 11 दवाएँ फेल, हिमाचल सबसे आगे
रिपोर्ट के अनुसार, कुल 112 फेल सैंपलों में से 49 हिमाचल प्रदेश, 16 गुजरात, 12 उत्तराखंड, 11 पंजाब, और 6 मध्य प्रदेश की दवाएँ शामिल हैं।
इनमें पंजाब में निर्मित 11 दवाएँ भी मानक पर खरी नहीं उतरीं। खास बात यह है कि केंद्रीय स्तर पर 52 और राज्य स्तरीय प्रयोगशालाओं में 60 सैंपल फेल हुए हैं।
नकली कफ सिरप ने बढ़ाई चिंता
सीडीएससीओ की रिपोर्ट में तीन कफ सिरप के सैंपल फेल पाए गए हैं, जिनमें से एक नकली घोषित किया गया है। यह खुलासा ऐसे समय में हुआ है जब कुछ सप्ताह पहले ही पंजाब सरकार ने ‘कोल्ड्रिफ कफ सिरप’ समेत आठ दवाओं पर प्रतिबंध लगाया था।
बाजार से हटाई जा रहीं असुरक्षित दवाएँ
रिपोर्ट जारी होते ही स्वास्थ्य विभाग ने सक्रियता दिखाते हुए इन दवाओं को बाजार से हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। फार्मासिस्टों, डॉक्टरों और अस्पतालों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इन दवाओं के बैच तुरंत अलग करें और मरीजों को सुरक्षित विकल्प ही उपलब्ध कराएँ।
दवाओं की गुणवत्ता पर सख्ती की ज़रूरत
विशेषज्ञों का कहना है कि यह रिपोर्ट भारत में फार्मास्युटिकल क्वालिटी कंट्रोल सिस्टम को और मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर देती है। नकली या घटिया दवाओं से मरीजों की जान को खतरा हो सकता है, इसलिए निगरानी और सैंपलिंग प्रक्रिया को और कड़ा बनाने की जरूरत है।