भारत को आज नया उपराष्ट्रपति मिल गया है। सीपी राधाकृष्णन ने शुक्रवार सुबह राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक भव्य समारोह में देश के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।
शपथ ग्रहण समारोह करीब सुबह 10 बजे शुरू हुआ, जिसमें केंद्र सरकार के कई शीर्ष नेता मौजूद रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत केंद्रीय मंत्रिमंडल के कई सदस्य इस विशेष अवसर पर उपस्थित रहे।
धनखड़ की मौजूदगी बनी चर्चा का विषय
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी इस कार्यक्रम में नजर आए। उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद यह उनका पहला सार्वजनिक कार्यक्रम था, जिस कारण उनकी उपस्थिति विशेष चर्चा में रही।
नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन शीघ्र ही पद की शपथ लेंगे। पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी इस समारोह में उपस्थित रहेंगे। यह समारोह शीघ्र ही शुरू होगा।
एक नई शुरुआत, अनुभव के साथ
67 वर्षीय सी.पी. राधाकृष्णन इससे पहले महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में कार्यरत थे। उपराष्ट्रपति चुने जाने के बाद उन्होंने गुरुवार को राज्यपाल पद से इस्तीफा दे दिया, जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया। उनके स्थान पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत को महाराष्ट्र का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।राधाकृष्णन को एक मंझे हुए प्रशासक, ईमानदार नेता और संसद के नियम-कायदे में पारंगत व्यक्ति के रूप में जाना जाता है।
भारी जीत, विपक्ष में सेंध
राधाकृष्णन ने मंगलवार को हुए चुनाव में इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार और पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज बी. सुदर्शन रेड्डी को 152 वोटों के भारी अंतर से हराया।
कुल मतदान सांसदों का: 767 राधाकृष्णन को वोट: 452 सुदर्शन रेड्डी को वोट: 300 नोटा व अमान्य मत: 15
यह आंकड़े स्पष्ट करते हैं कि विपक्ष के भीतर से भी राधाकृष्णन को समर्थन मिला, जिससे क्रॉस वोटिंग की अटकलें तेज हो गई हैं।
राजनीतिक गलियारों में हलचल
राधाकृष्णन की जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने व्यक्तिगत रूप से मुलाकात कर उन्हें बधाई दी। यह मुलाकात केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी के आवास पर हुई। शपथ ग्रहण समारोह में कई प्रमुख नेता मौजूद रहेंगे।
पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ का बयान
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, जिन्होंने 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों से पद से इस्तीफा दिया था वह भी समारोह में हिस्सा ले सकते है। उन्होंने राधाकृष्णन को लिखित बधाई पत्र में कहा कि “उनका सार्वजनिक जीवन का अनुभव इस संवैधानिक पद की गरिमा को और ऊँचाई देगा।” धनखड़ का यह बयान उनके कार्यकाल समाप्त होने के बाद पहला सार्वजनिक प्रतिक्रिया था।
चुनौतियां और उम्मीदें
राधाकृष्णन के समक्ष आने वाले समय में कई चुनौतियां होंगी। संसद के ऊपरी सदन (राज्यसभा) को निष्पक्ष रूप से संचालित करना, पक्ष-विपक्ष के बीच संतुलन बनाए रखना और गरिमापूर्ण संवाद की परंपरा को मजबूत करना उनकी प्रमुख जिम्मेदारियां होंगी। संसद का शीतकालीन सत्र जल्द ही शुरू होगा, जिसमें राधाकृष्णन पहली बार राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्यभार संभालेंगे।