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Diwali पर किसानों की बढ़ी चिंता, 11 दिन तक बंद रहेंगी प्याज मंडियां

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दीपावली के अवसर पर 11 दिनों तक प्याज मंडियां बंद रखने के फैसले ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है।

दीपावली के अवसर पर 11 दिनों तक प्याज मंडियां बंद रखने के फैसले ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। राज्य के प्याज उत्पादक किसानों के संगठन ने इस फैसले को किसानों के हितों के खिलाफ बताया है और सरकार से पुनर्विचार की मांग की है।
महाराष्ट्र राज्य प्याज उत्पादक संघ के संस्थापक-अध्यक्ष भरत दिघोले ने कहा कि किसानों के लिए यह निर्णय अत्यंत हानिकारक है, क्योंकि वे दिन-रात मेहनत करके अपनी फसल उगाते हैं, लेकिन जब उपज मंडी में ले जाते हैं तो उन्हें बंद मिलती है। यह समस्या वर्षों से चली आ रही है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है।
मंडी समितियों में कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई जरूरी
दिघोले ने कहा कि मंडियां निजी संस्थान नहीं, बल्कि किसानों की मेहनत और उपज के कारण अस्तित्व में हैं। उन्होंने कहा कि मंडी बंद करने का अधिकार केवल प्रमुख त्योहारों तक सीमित होना चाहिए, न कि 11 दिनों तक। इसके अलावा, उन अधिकारियों और व्यापारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए जो किसानों के हितों के खिलाफ काम करते हैं।
उन्होंने राज्य सरकार से आग्रह किया कि कृषि उपज मंडी समितियों (एपीएमसी) में सख्त अनुशासन लागू किया जाए, ताकि किसानों को उचित सुविधा मिल सके और उनकी फसल सही दाम पर बिक सके।
लंबे समय तक बंद रहने से बढ़ सकती है फसल की कीमतों में गिरावट
भरत दिघोले ने कहा कि यदि मंडियां लंबे समय तक बंद रहती हैं, तो खुलने के बाद फसल की अचानक आवक बढ़ जाएगी, जिससे प्याज की कीमतें और भी गिर सकती हैं। फिलहाल प्याज उत्पादक पहले से ही कम कीमतों के चलते आर्थिक दबाव में हैं।
इसलिए, उन्होंने सरकार से अपील की है कि वे प्याज बाजारों के कुशल और पारदर्शी संचालन के लिए उचित कदम उठाएं, जिससे किसानों को न्याय मिल सके और उन्हें आर्थिक संकट से बचाया जा सके।
किसानों की मांग:
11 दिनों तक मंडियां बंद रखने का निर्णय वापस लिया जाए।
मंडी समितियों में पारदर्शिता और कड़ी निगरानी सुनिश्चित की जाए।
किसानों के नुकसान की भरपाई के लिए त्वरित कदम उठाए जाएं।
त्योहारों के दौरान भी किसानों को बाजार तक पहुंच सुनिश्चित की जाए।
किसानों की इस मांग को लेकर अब सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है, ताकि आगामी त्योहारों के दौरान किसानों को किसी भी तरह की आर्थिक परेशानी का सामना न करना पड़े।

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