पीसीए स्टेडियम में आयोजित फिल्मफेयर अवार्ड्स का मंच उस पल ऐतिहासिक बन गया
पीसीए स्टेडियम में आयोजित फिल्मफेयर अवार्ड्स का मंच उस पल ऐतिहासिक बन गया, जब प्रसिद्ध सूफी गायक और कवि सतिंदर सरताज ने एक घंटे तक लगातार प्रस्तुति देकर न केवल दर्शकों का दिल जीत लिया, बल्कि पंजाबी लोक संगीत की आत्मा को विश्व मंच पर जीवंत कर दिया।
जहाँ अन्य कलाकारों की प्रस्तुतियाँ 7 से 10 मिनट के भीतर समाप्त हो गईं, वहीं सरताज मंच पर एक घंटे तक टिके रहे बिना किसी विराम के, बिना किसी दिखावे के। उनके गीतों की मिठास, शब्दों की गहराई और मंच पर उनकी गरिमामयी उपस्थिति ने दर्शकों को भावनाओं के एक सघन प्रवाह से गुज़ारा।
लोक परंपरा की नई व्याख्या
सरताज ने अपनी प्रस्तुति में पारंपरिक पंजाबी लोकगीतों को आधुनिक स्पर्श देते हुए पेश किया, जिसमें उनकी कविताओं की आत्मा भी झलकती रही। उन्होंने न केवल संगीत प्रस्तुत किया, बल्कि श्रोताओं को विरासत, प्रेम, और आत्मिक चेतना की यात्रा पर भी ले गए।
दर्शकों का अद्वितीय अनुभव
श्रोताओं की प्रतिक्रिया अभूतपूर्व रही। हर गीत पर तालियों की गूंज, हर शब्द पर ‘वाह-वाह’ की सराहना और हर भाव पर आँखों में झलकते आँसू ये सब कुछ इस बात की गवाही थे कि यह सिर्फ एक प्रस्तुति नहीं थी, बल्कि एक सांस्कृतिक अनुभव था।
सरताज का भावपूर्ण संदेश
प्रस्तुति के पश्चात सतिंदर सरताज ने कहा, “मेरे लिए संगीत आत्मा की भाषा है। यह सिर्फ सुर और ताल नहीं, बल्कि विरासत और संवाद का माध्यम है। मैं आभारी हूँ कि मुझे फिल्मफेयर जैसे मंच पर अपनी संस्कृति को साझा करने का अवसर मिला।”
विश्व मंच पर पंजाबी की प्रतिष्ठा
सरताज उन चुनिंदा कलाकारों में से हैं जिन्होंने पंजाबी संस्कृति को बिना किसी समझौते के वैश्विक पहचान दिलाई है। कनाडा, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप में उनके शो पहले ही रिकॉर्ड समय में ‘सोल्ड आउट’ हो जाते हैं। उनकी कवितामय अभिव्यक्ति और संजीदा संगीत उन्हें भीड़ से अलग पहचान दिलाते हैं।