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Panjab की डंकी मृगमरीचिका: पश्चिम की इच्छा में हमारी पूंजी, हमारे सपनों और हमारी पीढ़ी का पलायन

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इस साल की शुरु आत में जब अमरीकी सेना का चार्टर विमान हथकड़ियों और बेड़ियों में जकड़े निराश प्रत्यर्पित लोगों को लेकर अमृतसर में उतरा तो पंजाब का सामना एक कड़वी हकीकत से हुआ।

 इस साल की शुरु आत में जब अमरीकी सेना का चार्टर विमान हथकड़ियों और बेड़ियों में जकड़े निराश प्रत्यर्पित लोगों को लेकर अमृतसर में उतरा तो पंजाब का सामना एक कड़वी हकीकत से हुआ। अमेरिका और कनाडा जैसे सपनों के देशों की घातक अवैध यात्र-जो एक भयंकर दु:स्वप्न में बदल रही है। आम बोली में इस घातक सफर को ‘डंकी’ ड्रीम कहा जाता है। सिर्फ इसी साल 1,700 से अधिक भारतीय अमेरिका से प्रत्यर्पित किए जा चुके हैं। इनमें अधिकतर युवा पंजाबी हैं।
इनमें से बहुत सारे अपने परिवार की जमीन बेचकर और बचत लुटाकर वहां गए थे। यह केवल असफल प्रवास की कहानी नहीं है; यह पूंजी पलायन की तेज रफ्तार कहानी है। इसमें पंजाब की उपजाऊ मिट्टी को जोखिम भरे सफर के लिए गिरवी रखा जाता है और इंसानी कार्गो खाली हाथ वापस लौटता है। हाल के प्रत्यर्पितों ने जैसा खुलासा किया है, डंकी की औसत लागत प्रति व्यक्ति 50 लाख रुपये तक पहुंच रही है। इस बीच यह सूबा अरबों की संपत्ति बहा चुका है और अपनी सबसे कीमती संपत्ति-महत्वाकांक्षी युवाओं की एक पीढ़ी-को भी गंवा रहा है।
जैसे-जैसे विदेशी सरहदों पर सख्ती बढ़ रही है, प्रत्यर्पणों की संख्या बढ़ रही है। यह दोहरे आघात तुरंत आत्ममंथन की मांग करता है- वरना पंजाब का जनसांख्यिकीय और आर्थिक भविष्य सूख जाएगा। डंकी रूट से आशय कई देशों से होकर गुजरने वाली कठिन, घुमावदार यात्रओं से है। अब यह हताशा का पर्याय बन चुका है। ज्यादातर देहाती इलाकों से आने वाले ये युवा पंजाबी इस यातनाभरी यात्र के लिए पैसों का जुगाड़ करने के लिए पुश्तैनी जमीन या संपत्तियां बेच देते हैं। वे मैक्सिको होते हुए अमेरिका या पेचीदा रास्तों से कनाडा तक पहुंचने की योजना बनाते हैं।
आंकड़े एक भयावह तस्वीर पेश करते हैं : वित्त वर्ष 2021 और अगस्त 2024 के बीच अमेरिकी कस्टम्स और बॉर्डर प्रोटैक्शन ने सीमाओं पर 2,74,000 से अधिक भारतीयों को रोका-2018-19 में यह संख्या मात्र 8,027 थी। पंजाब इस पलायन में सबसे आगे है। हाल की कुछ उड़ानों में प्रत्यर्पित लोगों में 38- 40} हिस्सेदारी पंजाबियों की ही थी। केवल 2025 की शुरु आत में ही 332 में से 126 लोग पंजाब से थे। इन आंकड़ों से मोटा अंदाजा लगाया जाए तो पिछले पांच साल में 80,000-100,000 पंजाबियों ने डंकी रूट के जरिए अवैध प्रवेश की कोशिश की होगी।
2018 तक विश्व भर में 9.84 लाख पंजाबी प्रवासी थे, लेकिन अवैध आवागमन की गति तेज हो चुकी है: जून 2024 में उत्तरी अमेरिका की सीमाओं पर 5,153 भारतीयों को रोका गया, जो उच्चतम दर है। इस रफ्तार को तेज करने में संपत्ति-विक्रय का जुनून अहम भूमिका निभा रहा है।
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के एक अध्ययन के मुताबिक अपने बच्चों को विदेश भेजने वाले 19.38} परिवारों ने यात्र के लिए जमीन, मकान, सोना और यहां तक कि ट्रैक्टर तक बेच दिए। जमीन बिक्री खास तौर पर आम है: औसतन प्रति परिवार 63,910 रुपये की संपत्ति बिकी है- लेकिन हजारों घरों की कुल मिलाकर बात करें तो यह अरबों रु पए की निकासी बन जाती है। पंजाब से बाहर जाने वालों ने 14,342 करोड़ रुपये उधार लिए। इसके लिए अक्सर संपत्ति गिरवी रखी गई। जब ये डंकी यात्र नाकाम हो गईं तो कर्ज का जाल और बढ़ गया।
ग्रामीण पंजाब का परिदृश्य बदल रहा है : दोआबा और माझा के गांवों में ‘फॉर सेल’ यानी ‘संपत्ति बिकाऊ है’ के बोर्ड लग गए हैं, जहां किसान अपनी खेती की जमीनें बाहरी या शहरी खरीदारों को बेच रहे हैं ताकि बेटों को टोरंटो या टैक्सास की टिकट दिला सकें। यह सिर्फ दूसरी जगह बसने की कहानी नहीं है; यह पूंजी पलायन है, किसान एक लाख रुपये से ज्यादा के कर्ज में डूबे हैं और यह स्थिति पहले से ही ठहराव की कगार पर खड़ी पंजाब की कृषि अर्थव्यवस्था को निचोड़ रही है। वित्तीय बोझ आसमान छू रहा है।
एक डंकी पर औसतन 40-60 लाख रुपये खर्च आता है। प्रत्यर्पितों के मुताबिक 50 लाख तक खर्च होते हैं और कुछ मार्गों पर यह 1.25 करोड़ तक पहुंच जाता है। इस दर से पांच साल में 80,000 पंजाबियों के बाहर जाने पर 32,000 से 48,000 करोड़ रुपये भी बाहर चले गए हैं। इसमें जमीन की बिक्री और उधारी भी जोड़ दें तो पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के अध्ययन के मुताबिक बच्चे को बाहर भेजने वाले प्रत्येक परिवार ने औसतन 90,820 रुपये की संपत्ति बेची है। इसके आधार पर मोटा अनुमान लगाएं तो पंजाब के हाथ से कुल 72,656-90,820 करोड़ रुपये निकल गए।
इसमें अवसर के लागत शामिल नहीं है: सफल प्रवासियों से मिलने वाले रेमिटेंस भी फीके पड़ जाते हैं। पंजाब को बाहर बसे अपने बच्चों से सालाना 10,000- 15,000 करोड़ रुपये ही मिलते हैं। यही नहीं, 2024 के एक अध्ययन के अनुसार, डंकी रूट की असफल यात्रओं के कारण बाहर से पैसा आने में गिरावट आई है। 2025-26 के लिए पंजाब का सकल घरेलू उत्पाद 8.91 लाख करोड़ रुपये है।
अपना पैसा पंजाब में लगने के बजाय विदेश भेजने वाले एजैंटों और तस्करों तक पहुंच रहा है और इससे सूबे में पूंजी निवेश प्रभावित हो रहा है। बात रुपयों से हटकर भी कर लें तो मानव पूंजी का क्षरण और भी भयावह है। ‘प्रतिभा पलायन’ और ‘युवा पलायन’ में केरल के बाद पंजाब दूसरे नंबर पर है। महिलाएं भी इस पलायन में तेजी से शामिल हो रही हैं।
इस ‘जनसांख्यिकीय लाभ’ की हानि के चलते बूढ़ी होती जनसंख्या, छोड़े गए खेत और कृषि तथा उद्योग में दक्षता की कमी पैदा हो रही है। बेरोजगारी आधिकारिक तौर पर 6-8} है, लेकिन युवाओं में यह दर कहीं अधिक बढ़ती जा रही है क्योंकि प्रतिभाएं पलायन कर रही हैं। इससे आर्थिक जड़ता का चक्र और गहराता जा रहा है।
अब प्रत्यर्पण इस पीड़ा को और बढ़ा रहे हैं-दोहरे आघात की तरह। 2025 में अगस्त तक अमेरिका ने 1,703 भारतीयों को निष्कासित किया, जिनमें पंजाबियों (620) ने सबसे अधिक मार ङोली। उसके बाद हरियाणा (604) का नंबर है। कनाडा ने भी बैकलॉग संकट के बीच सैकड़ों लोगों को वापस भेजा। निष्कासित लोग भारी कर्ज तले लदकर, कलंकित और बेरोजगार होकर लौटते हैं; उनके परिवारों की कुर्बानियां-बेची गई जमीनें, करोड़ों का कर्ज-सब पानी में बह जाता है।
एक रिपोर्ट में दर्ज है कि 126 पंजाबियों ने कुल मिलाकर एजैंटों को 44.7 करोड़ रुपये चुकाए। यह पूंजी हमेशा के लिए हाथ से चली गई है। इसके सामाजिक नतीजे भयानक हैं: टूटते परिवार, मानिसक स्वास्थ्य संकट और गहराती गरीबी। पंजाब में डंकी जुनून आर्थिक संकट यानी कृषि आय में ठहराव और रोजगार की कमी की देन है, पर समाधान भी इसके भीतर ही निहित हैं।
युवा पीढ़ी को अपने पास रोकने के लिए कौशल केंद्रों, एग्रो-टेक और पर्यटन में निवेश बढ़ाएं। सपनों का शिकार करने वाले एजैंट माफिया पर कड़ी कार्रवाई करें। जैसे-जैसे ट्रम्प युग की नीतियों के तहत सीमाओं पर सख्ती बढ़ रही हैं, पंजाब को जागना होगा: पश्चिम का आकर्षण मृगमरीचिका है.. और असली सोना इसकी मिट्टी और इसके बेटों में निहित है।
यदि कदम न उठाए गए तो यह पूंजी पलायन इस हृदयस्थल को वीरान कर देगा। इस विनाशकारी प्रवृत्ति को पलटने के लिए पंजाब सरकार को एक ऐसी एक बहुआयामी रणनीति अपनानी होगी जो आर्थिक पुनरुद्धार और युवा सशक्तिकरण पर केंद्रित हो।
1. व्यावसायिक प्रशिक्षण और उद्यमिता कार्यक्र मों में भारी निवेश करें, जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में कौशल विकास केंद्रों का विस्तार, ताकि युवाओं को आईटी, नवीकरणीय ऊर्जा और आधुनिक कृषि में मांग वाले कौशल से लैस किया जा सके और रोजगार गारंटी के लिए निजी कंपनियों के साथ साङोदारी की जा सके।
2. कृषि विविधीकरण के लिए कम ब्याज दर पर ऋण जैसे वित्तीय प्रोत्साहन लागू करें, ताकि उच्च मूल्य वाली फसलों, डेयरी या एग्रो-टूरिज्म को बढ़ावा दिया जा सके, स्थानीय किसानों के लिए टिके रहना लाभदायक हो, साथ ही अवैध प्रवासन एजैंटों पर सख्त लाइसैंसिंग और गांवों में जागरूकता अभियान चलाकर कार्रवाई करें।
3. स्थानीय इनोवेशन हब और स्टार्टअप इनक्यूबेटरों को बढ़ावा दें, पंजाब की उद्यमशील भावना का लाभ उठाकर देशज अवसर पैदा करें, और बेहतर सिंचाई और कनेक्टिविटी जैसे बुनियादी ढांचा प्रोजैक्ट्स के लिए केंद्र सरकार के साथ सहयोग करें, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हो। अंत में, प्रत्यर्पितों और उनके परिजनों के लिए काउंसलिंग सेवाओं की शुरु आत करके सामाजिक कलंक को दूर करें और पुन: प्रशिक्षण अनुदानों के साथ उन्हें पुन: कार्यबल में शामिल करें। यदि इन कदमों को जोरों से लागू किया जाए, तो यह इस पलायन को रोक सकता है, समुदाय की लचीलता को फिर से खड़ी कर सकता है और पंजाब को पलायन के केंद्र से आत्म-निर्भर विकास के मॉडल में बदल सकता है।

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