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Punjab Flood : बाढ़ से बिगड़े हालात… रावी-घग्गर नदी उफान पर, IMD ने किया बारिश का ऑरेंज अलर्ट

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पंजाब में बाढ़ का संकट लगातार गहराता जा रहा है।

पंजाब में बाढ़ का संकट लगातार गहराता जा रहा है। रावी नदी का जलस्तर बढ़ने के बाद अब इसका पानी अमृतसर जिले के अजनाला कस्बे और आसपास के गाँवों तक पहुँच गया है। रातभर में पानी हरार कलां गाँव तक फैल गया, जिसके बाद प्रशासन ने राहत व बचाव कार्य तेज़ कर दिए हैं।
कई जिलों में बाढ़ का असर
बाढ़ का असर अब अमृतसर, गुरदासपुर, फिरोजपुर, तरनतारन, फाजिल्का, कपूरथला के सुल्तानपुर लोधी, होशियारपुर के बाद पटियाला जिले में भी दिखाई दे रहा है। बताया जा रहा है कि चंडीगढ़ की सुखना झील से छोड़े गए पानी और घग्गर नदी के उफान से पटियाला के कई गाँवों की जमीनें पानी में डूब गई हैं। खजूर मंडी, तिवाना, साधनपुर और सरसेनी गाँवों के खेत पूरी तरह जलमग्न हैं। यह पानी हरियाणा की तंगरी नदी की ओर बढ़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि हालात 2023 की बाढ़ जैसे बन रहे हैं, जिसने उन्हें भारी नुकसान पहुँचाया था।
करतारपुर साहिब में सफाई अभियान
पाकिस्तान के नारोवाल स्थित गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब में भी बाढ़ का असर देखने को मिला। हाल ही में जलस्तर 10 फीट तक पहुँच गया था। हालांकि, पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज शरीफ के आदेश पर परिसर से पानी निकाल दिया गया है और अब सफाई अभियान शुरू हो चुका है।
IMD ने किया बारिश का ऑरेंज अलर्ट
मौसम विभाग ने पंजाब में भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। यह अलर्ट पठानकोट, होशियारपुर और रूपनगर जिलों में लागू रहेगा। वहीं, गुरदासपुर, नवांशहर, फतेहगढ़ साहिब और पटियाला में येलो अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विज्ञान केंद्र का अनुमान है कि राज्य में 1 सितंबर तक बारिश जारी रह सकती है।
पंजाबी गायक सतिंदर सरताज ने भेजा राशन
पंजाबी गायक सतिंदर सरताज ने बाढ़ पीड़ित परिवारों की मदद के लिए आगे आते हुए अमृतसर डीसी साक्षी साहनी को 500 परिवारों के लिए एक महीने का राशन भेजा है। प्रशासन और स्वयंसेवकों की टीम इसे प्रभावित गाँवों तक पहुँचाने में जुटी है।
गाँवों की हालत नाजुक
अजनाला विधानसभा क्षेत्र के फुले चेक, कोटली कोरोटाना, वंझवाल, नांगल और कामिरपुरा गाँवों में बाढ़ ने जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। घरों में पानी भरने के साथ-साथ खेतों की खड़ी फसलें नष्ट हो गई हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह बाढ़ उन्हें पाँच साल पीछे धकेल देगी, क्योंकि अब खाने और रोज़मर्रा की जरूरतों के लिए भी साधन नहीं बचे हैं।

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