रूस से तेल खरीदने के चलते अमेरिका ने भारत पर अब तक का सबसे बड़ा व्यापारिक प्रहार कर दिया है।
रूस से तेल खरीदने के चलते अमेरिका ने भारत पर अब तक का सबसे बड़ा व्यापारिक प्रहार कर दिया है। 27 अगस्त से लागू हुए 25% अतिरिक्त आयात शुल्क के साथ अब भारत पर कुल 50% टैरिफ लागू हो चुका है। इससे न केवल भारत के प्रमुख निर्यात क्षेत्रों को गहरी चोट लगी है, बल्कि देश के लाखों श्रमिकों के सामने रोजगार का संकट भी खड़ा हो गया है।
ये सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं?
1. रत्न और आभूषण उद्योग:
भारत का रत्न-आभूषण उद्योग, खासकर सूरत, मुंबई और जयपुर में केंद्रित है, जो अब अमेरिकी टैरिफ के कारण लड़खड़ाने लगा है। पहले जहां अमेरिका पर महज 2.1% आयात शुल्क था, वहीं अब यह सीधा 52.1% तक पहुंच गया है। वर्ष 2024-25 में भारत ने अमेरिका को करीब 10 अरब डॉलर का रत्न-आभूषण निर्यात किया था। अब इसकी मांग में भारी गिरावट का अनुमान है।
2. कृषि और समुद्री उत्पाद:
भारत हर साल अमेरिका को 5.6 अरब डॉलर के कृषि और मरीन उत्पाद निर्यात करता है। मछली, मसाले, चावल और डेयरी उत्पादों पर भारी शुल्क से नुकसान झेलना पड़ सकता है। पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, गुजरात और केरल जैसे राज्यों में सीफूड उद्योग सबसे ज्यादा दबाव में है। छोटे किसानों और मछुआरों की आमदनी प्रभावित हो रही है।
3. चमड़ा और फुटवियर सेक्टर:
कानपुर, आगरा, अंबूर और कोलकाता जैसे शहरों में चमड़ा और फुटवियर उद्योग रोजगार के बड़े स्रोत हैं। अब 50% टैरिफ के कारण अमेरिकी खरीदार पीछे हट रहे हैं। बंटाला लेदर हब और तमिलनाडु के क्लस्टर में फैक्ट्रियों में उत्पादन घट गया है, और हजारों नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है।
4. कपड़ा और परिधान उद्योग:
टेक्सटाइल क्षेत्र, जो तमिलनाडु के तिरुपुर से लेकर लुधियाना, गुरुग्राम, नोएडा और जयपुर तक फैला है, अमेरिका के नए टैरिफ से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। पहले जहां 9-13% शुल्क था, अब वह 63% तक जा पहुंचा है। भारत से अमेरिका को टेक्सटाइल निर्यात का कुल 28% हिस्सा जाता है। अब ऑर्डर रुक रहे हैं और उत्पादन ठप होने लगा है।
5. कालीन उद्योग:
भारत दुनिया के प्रमुख कालीन निर्यातक देशों में है, और अमेरिका इसका सबसे बड़ा खरीदार। लेकिन जहां पहले सिर्फ 2.9% शुल्क था, अब यह 53% हो गया है। उत्तर प्रदेश के भदोही और मिर्जापुर, और कश्मीर के श्रीनगर जैसे केंद्रों पर खासा असर दिख रहा है। 30 लाख से ज्यादा श्रमिकों के रोजगार पर संकट गहरा गया है।
6. हथकरघा और हस्तशिल्प:
जोधपुर, जयपुर, मुरादाबाद और सहारनपुर जैसे शहरों में हथकरघा उत्पादों के निर्यात पर भी गाज गिरी है। भारत के 1.6 अरब डॉलर के हथकरघा निर्यात में 40% हिस्सा अमेरिका को जाता है, जो अब प्रतिस्पर्धी देशों के सस्ते विकल्पों से चुनौती झेल रहा है।
कौन सा राज्य कितना प्रभावित?
उत्तर प्रदेश: कानपुर, आगरा, भदोही जैसे शहरों में ऑर्डर रुक गए हैं। अब एक से दो शिफ्ट में ही काम हो रहा है। करीब 1500 करोड़ रुपये के ऑर्डर रद्द हो चुके हैं।
हरियाणा: पानीपत के टेक्सटाइल हब में 10,000 करोड़ के व्यापार पर संकट है। बासमती चावल पर टैरिफ से एक्सपोर्ट रुक सकता है।
गुजरात: सूरत की डायमंड इंडस्ट्री में छंटनी का खतरा। अनुमान है कि एक लाख से ज्यादा श्रमिकों की नौकरी जा सकती है।
पश्चिम बंगाल: झींगा और चमड़ा उद्योग बुरी तरह प्रभावित। बंटाला लेदर हब में 5 लाख कामगारों की नौकरियों पर खतरा।
पंजाब: टेक्सटाइल, ऑटो पार्ट्स, लेदर, और कृषि उपकरणों पर असर। MSME क्षेत्र में मंदी की शुरुआत के संकेत मिल रहे हैं।