Jalandhar (punjab e news ) आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो तथा खुद को भारत का सबसे ईमानदार व्यक्ति होने का दावा करने वाले अरविन्द केजरीवाल की अगर जीवनी पर पुस्तक लिख दी जाए तो शायद लोग हिटलर को भी भूल जाएँ। खुद को पंजाब का मुख्यमंत्री न बनता देख पंजाब में इस तरह नेताओं के सियासी कत्ल कर दिए गए मानो पार्टी का गठन समाज के लिए बल्कि उनकी आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए बना हो। देश के सबसे सम्मानजनक शख्सियतों में से एक समाज सेवी अन्ना हज़ारे के मंच का इस्तेमाल कर अन्ना को धोखा देने के बाद समाज सेवी से सियासत में कदम रखने वाले केजरीवाल ने अपने बोल्ड फैसलों से रिवायती पार्टियों को बौना साबित कर दिया है।
पार्टी के गठन के समय से पंजाब में झाड़ू के लिए तिनका तिनका बटोरने वाले सुच्चा सिंह छोटेपुर को इसलिए रास्ते से हटा दिया गया क्यूंकि वह वरिष्ठ होने के नाते मुख्यमंत्री की रेस में सबसे आगे थे। तब केजरीवाल एंड पार्टी ने छोटेपुर को हटाने के लिए भगवंत मान को लॉलीपॉप दे कर साथ मिला लिया था। विधान सभा चुनावों के दौरान केजरीवाल और उनकी पत्नी के का दावेदार होने की बातें बाहर आती रही। नब्ज़ टटोलने को केजरीवाल के साथी मनीष सिसोदिया को पंजाब प्रचार हेतु भेज दिया गया। पठानकोट के मंच से केजरीवाल के मन की बात जारी करते ही सियासी भूचाल आ गया। केजरीवाल को दिल्ली में बैठ कर ब्यान का स्पष्टीकरण देना पड़ा। अब तक पंजाबी कलाकार गुरप्रीत घुग्गी को वड़ैच बना कर मैदान में भेज दिया गया।
घुग्गी ने उड़ना शुरू किया तो उनके भी पर काट दिए गए। भगत सिंह के विचारों से प्रभावित घुग्गी पार्टी हाईकमान व् केजीरवाल की असलियत देख इतने आहत हुए की उन्होंने सियासत से ही तौबा कर ली। फिर बारी आई भगवंत मान की। वह तो पार्टी पंजाब में चुनाव हार गई नहीं तो भगवंत का पत्ता कब का कट जाना था। तब तक खैहरा पार्टी में प्रवेश कर चुके थे। भगवंत को तब तक ज़मीन नज़र आ चुकी थी। उन्हें प्रधान तो बना दिया गया लेकिन वह गेम से पूरी तरह आउट हो चुके थे।
विधान सभा चुनावों के बाद सुखपाल खैहरा ही थे जो सदन तथा सदन के बाहर पार्टी का झंडा बुलंद कर रहे थे। खैहरा के बोल्ड अंदाज़ के कारण वह हाईकमान की आँखों में खटक रहे थे। सह प्रभारी बलबीर सिंह के विवाद के मौके को भुनाते हुए एन मौके पर खैहरा को खुड्डे लाइन लगा दिया गया।
पंजाब में जिस तरह आम आदमी पार्टी द्वारा अपने ही बड़े नेताओं ख़िलाफ़ साज़िश रची जा रही है उस हिसाब से हाईकमान का अगला निशाना अमन अरोड़ा ही होंगे।