Punjab E News (Nisha Panjalia):पंजाब कांग्रेस ने प्रदेश की कानून व्यवस्था को लेकर कई सवाल उठाए हैं। गुरुवार को पंजाब कांग्रेस भवन में पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग और पंजाब विधानसभा में विपक्ष नेता प्रताप सिंह बाजवा व अन्य नेताओं ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री को धमकियां मिल रही हैं तो पंजाब में कौन सुरक्षित हो सकता है? इस दौरान पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा, विपक्ष के उप नेता राजकुमार चब्बेवाल, पूर्व मंत्री तृप्त राजिंद्र सिंह बाजवा और वरिष्ठ नेता सुखपाल खैरा भी मौजूद रहे।
राजा वडिंग ने कहा कि 24 दिन बीत चुके हैं और पंजाब पुलिस सिद्धू मूसेवाला की हत्या के मामले में अभी भी सुरागहीन है। उन्होंने कहा कि जो कुछ भी प्रोग्रेस हुई है, वह दिल्ली पुलिस और महाराष्ट्र पुलिस के चलते हुई है। यहां तक कि मुख्य संदिग्ध लॉरेंस बिश्नोई को भी दिल्ली पुलिस ने पंजाब पुलिस के सुपुर्द किया था। उधर राज्य में लोगों को मिल रही फिरौती की कॉल्स का जिक्र करते हुए प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने खुद खुलासा किया कि उन्हें भी धमकी भरी कॉल आई हैं। उन्होंने कहा कि आम लोग सोचेंगे कि यदि मुख्यमंत्री खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा, तो दूसरों की क्या स्थिति होगी। बाजवा ने कहा कि तिहाड़ जेल को देश की सबसे सुरक्षित जेल माना जाता है,पर वहां भी बीते कई साल से मुख्य संदिग्ध बिश्नोई उसी जेल में था। ऐसे में उन्होंने सारी जिम्मेदारी दिल्ली की AAP सरकार की बताई, जिसके अंतर्गत तिहाड़ जेल आती है। उन्होंने पूछा कि तिहाड़ जेल में बिश्नोई को कैसे सभी सुविधाएं मिल रही थी।
इसके साथ ही रंधावा ने सरकार से लोगों को बताने के लिए कहा कि हिरासत में पूछताछ के दौरान बिश्नोई ने क्या खुलासा किया। उन्हें उससे पूछना चाहिए कि किसने बिश्नोई को मोबाइल मुहैया करवाया, जिसके जरिए उसने मूसेवाला की हत्या करवाई और किसने उसे आधुनिक हथियार मुहैया करवाए। रंधावा ने कहा कि तिहाड़ जेल का नियंत्रण दिल्ली सरकार के पास है, न कि केंद्र के पास, जिसके चलते पूरी जिम्मेदारी AAP सरकार की है। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने सरकार को यह भी बताने के लिए कहा है कि उसने सिख्स फॉर जस्टिस के नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ केस दर्ज क्यों नहीं किया, जो खुलेआम कह रहा है कि उसने AAP की चुनावी मुहिम को फंड दिए थे। साथ ही कांग्रेस के नेताओं ने सरकार से कानून और व्यवस्था का मुद्दा गंभीरता से लेने को कहा।