लगभग 1000 विद्यार्थियों , विद्वानों, शिक्षाविदों और साहित्यकारों ने सुपर क्लास में लिया भाग
स्कूल ऑफ ह्यूमैनिटीज में एलपीयू के अंग्रेजी विभाग ने "रस्किन बॉन्ड के साथ रचनात्मक लेखन" विषय पर ऑनलाइन 'मास्टर-क्लास' का किया था आयोजन
87 वर्ष के साहित्य को समर्पित बॉन्ड ने छह दशकों में 500 से अधिक लघु कथाएँ, उपन्यास और बच्चों के लिए 50 से ज्यादा किताबें लिखी हैं
Punjab E News:- : पद्म श्री और पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित विश्व प्रसिद्ध साहित्यकार रस्किन बॉन्ड ने लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) में 'मास्टर-क्लास' का आयोजन किया, जिसमें लगभग 1000 विद्यार्थियों, विद्वानों, शिक्षाविदों और साहित्यिक और रचनात्मक विचारों के व्यक्तियों ने भाग लिया। विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ह्यूमैनिटीज में एलपीयू के अंग्रेजी विभाग ने "क्रिएटिव राइटिंग विद रस्किन बॉन्ड (रस्किन बॉन्ड के साथ रचनात्मक लेखन)" विषय पर ऑनलाइन 'कक्षा' का आयोजन किया था। लगभग 87 साल के बॉन्ड ने छह दशकों के समय में 500 से अधिक शार्ट- स्टोरीज (लघु कथाएँ), नावेल (उपन्यास) और बच्चों के लिए 50 से अधिक प्रेरणादायी किताबें लिखी हैं।
ब्रिटिश मूल के प्रख्यात समकालीन भारतीय लेखक, रस्किन बॉन्ड ने बहुत सी प्रेरक पुस्तकें लिखीं हैं और उन्हें अंग्रेजी में उनके उपन्यास 'अवर ट्रीज़ स्टिल ग्रो इन देहरा' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार (1992) से सम्मानित भी किया गया है । उनके पहले उपन्यास, 'द रूम ऑन द रूफ' को 1957 में जॉन लेवेलिन राइस पुरस्कार मिला। हिमालय की तलहटी के हरे-भरे जंगलों के बीच रहने वाले उनके साधारण पात्र अपने शांतमय जीवन, वीरता, साहस, प्यार और सदियों पुराने ईमानदारी और निष्ठा के मूल्यों के लिए उल्लेखनीय हैं। बॉन्ड की विशिष्ट शैली में बताई गई ये कहानियां महान भारत की शानदार अभिव्यक्तियां ही हैं।
रचनात्मक लेखक बनने के तरीके के बारे में अपनी अंतर्दृष्टिपूर्ण टिप्पणियों और व्यावहारिक ज्ञान को साझा करते हुए, बॉन्ड ने पहले एक अच्छा पाठक होने और एक प्रभावी और सफल लेखन करियर के लिए एक उत्कृष्ट शब्दावली विकसित करने पर जोर दिया। उपस्थित लोगों में से कुछ ने पूछा, "लेखक होने के नाते, कभी-कभी कुछ असफलताओं के बाद लिखना जारी रखना काफी कठिन होता है, तो उन असफलताओं को कैसे संबोधित किया जाए और फिर से लिखने के लिए कैसे प्रेरित हुआ जाए"। इसके लिए बॉन्ड ने सभी को सुझाव दिया, "ईमानदारी से प्रयास करते रहो और सब कुछ नियति पर छोड़ दो। सफलता या असफलता की चिंता मत करो; क्या अधिक महत्वपूर्ण है वह है जुनून और कभी भी हार न मानने की भावना। असल में दृढ़ता ही सफलता की कुंजी है।"
अपने बेहतरीन साहित्यिक सम्बोधन के दौरान, वह एलपीयू के ग्रेजुएट और पोस्ट-ग्रेजुएट दोनों स्तरों पर अंग्रेजी साहित्य पाठ्यक्रमों के पाठ्यक्रम को डिजाइन करने के लिए भी आगे आए। वर्तमान में भी, एलपीयू के अंग्रेजी के पाठ्यक्रम उनके द्वारा विधिवत अनुमोदित हैं, और विश्वविद्यालय के बीए ऑनर्स, एमए अंग्रेजी में सफलतापूर्वक चल रहे हैं। एलपीयू के कार्यकारी डीन प्रो. डॉ संजय मोदी ने आशा व्यक्त की कि श्री बॉन्ड अपने प्रेरक सुझावों और मूल्यवान साहित्यिक योगदान के माध्यम से समकालीन उभरते लेखकों को प्रेरित करते रहेंगे। एचओएस प्रो. डॉ पवित्र प्रकाश सिंह, एचओडी प्रो. डॉ अजय बट्टा के साथ अंग्रेजी व् अन्य विभागों के सभी फैकल्टी -सदस्यों ने इस दुर्लभ मास्टर-क्लास में भाग लिया।