कोलकाता के डॉक्टर रेप -मर्डर केस में संजय रॉय दोषी करार , जल्द होगा सज़ा का ऐलान
डेस्क – देश के कानून ने बार फिर लोगों को सुकून दिया है। दिल्ली के बाद कोलकाता में हुए वीभत्स बलात्कार और कत्ल कांड में कानून ने अपना काम कर दिखाया है। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिदंगी को लेकर सियालदह कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने आरोपी संजय रॉय को दोषी करार दिया है। सजा सोमवार को सुनाई जाएगी। 8-9 अगस्त 2024 की रात को महिला डॉक्टर के साथ रेप कर उसकी हत्या कर दी गई थी।आज उस पीड़िता को न्याय मिला। कोर्ट ने फिलहाल संजय रॉय को दोषी माना है।
57 दिन तक मामले की सुनवाई हुई. 2024 में अगस्त के महीने में हुई इस घटना के करीब 162 दिन बाद फैसला सुनाया गया है। पहले इस केस की जांच कोलकाता पुलिस कर रही थी। फिर हाई कोर्ट के दखल के बाद यह केस सीबीआई को सौंपी गई थी। सीबीआई ने 13 अगस्त को इस मामले की जांच अपने हाथ में ली थी और इसके बाद जांच शुरू की थी।
सीबीआई ने 120 से अधिक गवाहों के बयान दर्ज किए। करीब दो महीने तक इस केस में कैमरा ट्रायल चला। सीबीआई के वकील ने संजय रॉय को इस घटना के अपराधी साबित करने के लिए (एलवीए) के अलावा जैविक साक्ष्य भी पेश किए, जिनमें डीएनए नमूने, विसरा आदि शामिल हैं। हालांकि, आरोपी संजय रॉय आज भी कोर्ट में खुद को दोषी नहीं माना। चिल्लाकर बोला मैं दोषी नहीं हूं.
सीबीआई ने दावा किया कि पीड़िता ने रेप और उसे जान से मारने के समय खुद को बचाने के लिए काफी देर तक संघर्ष किया था। इसी में उसने संजय रॉय के शरीर पर पांच बार घाव किए थे, जो रिपोर्ट में सामने आए हैं। दावा किया गया है कि पीड़िता के शरीर पर लार के स्वाब के नमूने और डीएनए के नमूने संजय रॉय के साथ मेल खाते हैं। CBI के वकील ने इस घटना को अमानवीयता की सीमा को पार करना बताया है।
जांच के दौरान, एक बहु-संस्थागत मेडिकल बोर्ड द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट ने भी पुष्टि की कि पीड़िता की मौत हाथ से गला घोंटने के बाद हुई थी। ट्रेनी डॉक्टर ने जब खुद को बचाने की कोशिश की तो उसका चश्मा टूट गया था। पीड़िता के साथ निर्दयता इतनी गंभीर थी कि उसकी आंख, मुंह और गुप्तांगों से लगातार खून बह रहा था। पीड़िता की गर्दन और होठों पर चोट के निशान पाए गए थे।
इस घटना के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर देश के डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए चिंता जाहिर की थी, जिसके बाद देश भर के डॉक्टरों के सुरक्षा की खाईं को पाटने के लिए राष्ट्रीय टास्कफोर्स का गठन किया गया था.