Punjab E News (Jasvinder Kaur):पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर नेशनल असेंबली की कार्यवाही का रिकॉर्ड तलब किया और इस मामले की सुनवाई बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी। ऐसे में देश में राजनीतिक एवं संवैधानिक संकट लंबा खींचता दिख रहा है। वहीं नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम खान सूरी ने अविश्वास प्रस्ताव के सरकार को गिराने की तथाकथित विदेशी साजिश से जुड़े होने का हवाला देते हुए रविवार को उसे खारिज कर दिया था। साथ ही कुछ मिनट बाद, राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने प्रधानमंत्री खान की सलाह पर नेशनल असेंबली को भंग कर दिया था।
बता दें की शीर्ष अदालत ने कुछ ही घंटों में इस घटनाक्रम पर स्वत: संज्ञान लिया और 5 सदस्यीय पीठ ने मामले की सुनवाई शुरू कर दी। पीठ की अध्यक्षता प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल कर रहे हैं और इसमें न्यायमूर्ति इजाजुल अहसन, न्यायमूर्ति मोहम्मद अली मजहर, न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर और न्यायमूर्ति जमाल खान मंडोखाइल शामिल हैं। मुख्य न्यायाधीश बंदियाल ने कहा कि अदालत सरकार एवं विदेश नीति के मामले में हस्तक्षेप नहीं करती और वह केवल अविश्वास प्रस्ताव को खारिज करने और बाद में नेशनल असेंबली को भंग करने के लिए उपाध्यक्ष द्वारा उठाए गए कदमों की संवैधानिकता का पता लगाना चाहती है।
उल्लेखनीय है की मंगलवार को सुनवाई शुरू होने पर Pakistan Peoples Party (PPP) के सांसद रजा रब्बानी ने अदालत में अपनी दलीलें पेश कीं। PPP उन तीन प्रमुख विपक्षी दलों में से एक है जो प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी। रब्बानी ने कहा कि अदालत को संसदीय कार्यवाही के तहत किस हद तक छूट प्राप्त है, इसकी पड़ताल करनी चाहिए। उन्होंने कहा की जो कुछ भी हुआ है, उसे केवल ‘सिविलियन मार्शल लॉ' कहा जा सकता है। रब्बानी ने यह भी कहा कि अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ जानबूझकर एक कहानी गढ़ने का प्रयास किया गया था,जिसमें एक विदेशी साजिश का भी हवाला दिया गया।