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श्री करतारपुर साहिब में 68 साल बाद मिले भाई-बहन, देख कर हर किसी की आंख हुई नम

अमृतसर/ब्यूरो न्यूज़: भारत-पाकिस्तान में बंटवारे के दर्द की एक और कहानी गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब में देखने को मिली। पाकिस्तान के शेखपुरा की रहने वाली 68 वर्षीय सकीना अपने जन्म के बाद पहली बार अपने 80 वर्षीय भाई गुरमेल सिंह से गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब में मिली हैं। जन्म के बाद उन्होंने अपने भाई को सिर्फ तस्वीरों में ही देखा। पहली बार एक-दूसरे को देखकर दोनों एक-दूसरे के आंसू पोंछते रहे। ये कहानी पाकिस्तान में जन्मी सकीना की है।

1947 में विभाजन के समय सकीना का परिवार जस्सोवाल, लुधियाना में रहता था। बंटवारे के वक्त सकीना का परिवार पाकिस्तान चला गया। पिता का नाम वली मोहम्मत और दादा का नाम जामू था। सकीना का कहना है कि परिवार तो पाकिस्तान पहुंच गया, लेकिन उनकी मां भारत में ही रह गईं. आजादी के समय दोनों देशों के बीच यह समझौता हुआ था कि लापता लोगों को एक-दूसरे को लौटाया जाएगा। जिसके बाद पिता ने पाकिस्तान सरकार से भी मदद मांगी। सकीना ने बताया कि उनका जन्म 1955 में पाकिस्तान में हुआ था।

सकीना ने कहा कि शुरुआत में उनके भाई ने परिवार को पत्र भेजना शुरू किया। धीरे-धीरे भाई के पत्र भी आने बंद हो गये। जब उन्हें होश आया तो उनके पिता ने उन्हें बताया कि वहां तुम्हारा भाई भी है, उनका फोटो भी दिखाया गया। शकीना ने बताया कि पिता कहते थे कि तुम्हारा भाई लुधियाना में रहता है। जब गुरमेल सिंह पहली बार श्री करतारपुर साहिब में अपनी बहन से मिले तो दोनों गले मिले और खूब रोए। उन्हें उम्मीद है कि दोनों देशों की सरकारें उन्हें वीजा देंगी ताकि दोनों भाई-बहन एक-दूसरे से मिल सकें।