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Punjab Government ने HDFC बैंक से तोड़े सारे संबंध, इन बैंकों से लेनदेन करने का जारी किया आदेश

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पंजाब सरकार ने एक बड़ा और सख्त फैसला लेते हुए एचडीएफसी बैंक को डी-एम्पैनल कर दिया है।

पंजाब सरकार ने एक बड़ा और सख्त फैसला लेते हुए एचडीएफसी बैंक को डी-एम्पैनल कर दिया है। इसका मतलब यह है कि अब राज्य सरकार इस बैंक के साथ किसी भी प्रकार का लेनदेन नहीं करेगी। सरकार ने यह फैसला तब लिया जब उसे यह महसूस हुआ कि एचडीएफसी बैंक उसकी वित्तीय जरूरतों और समय पर फंड ट्रांसफर करने में सहयोग नहीं कर रहा था। इससे सरकारी योजनाओं, विभागों और परियोजनाओं पर बुरा असर पड़ा।
-समय पर पैसे ट्रांसफर नहीं कर पाया बैंक
दरअसल, हाल ही में राज्य सरकार ने सभी विभागों को उनके खर्च के लिए राशि दी थी, लेकिन फिर आर्थिक दबाव के चलते सरकार ने वह पैसा वापस मंगवा लिया। इस प्रक्रिया में एचडीएफसी बैंक से जुड़े विभागों को दिक्कत आई क्योंकि बैंक ने पैसे समय पर खजाने में ट्रांसफर नहीं किए। इस वजह से कई जरूरी कार्य रुक गए और सरकार को नुकसान झेलना पड़ा।
-मुख्य सचिव की बैठक में हुआ फैसला
5 जून को राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी जिसमें यह निर्णय लिया गया कि सभी विभाग तत्काल खर्च के लिए मिली राशि वापस जमा करें। लेकिन जिन विभागों के खाते एचडीएफसी बैंक में थे, वहां से पैसा समय पर वापस नहीं आया।
-वित्त विभाग ने सभी विभागों को भेजा आदेश
पंजाब के वित्त विभाग ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए सभी विभागों के सचिवों, डायरेक्टरों, पंचायतों, निगमों और विकास प्राधिकरणों को पत्र भेजा। इसमें साफ कहा गया कि एचडीएफसी बैंक अब राज्य सरकार के भरोसे के लायक नहीं है और वह वित्तीय अनुशासन बनाए रखने में असफल रहा है। इसलिए अब इस बैंक के साथ कोई सरकारी कार्य नहीं किया जाएगा।
-अब किन बैंकों से होंगे लेनदेन
वित्त विभाग ने एक नई सूची भी जारी की है जिन बैंकों से अब सरकारी विभाग लेनदेन कर सकते हैं। इस सूची में सार्वजनिक और निजी दोनों तरह के बैंक शामिल हैं जैसे कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, यूनियन बैंक, केनरा बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक आदि। इसके अलावा कुछ स्मॉल फाइनांस बैंक और कोऑपरेटिव बैंक भी इस सूची में हैं।
-पंजाब की आर्थिक स्थिति भी बनी वजह
इस पूरे मामले की पृष्ठभूमि में पंजाब की बिगड़ती आर्थिक हालत भी एक बड़ी वजह है। इस साल केंद्र सरकार ने पंजाब की कर्ज सीमा में 16,000 करोड़ रुपये की कटौती कर दी थी। पहले से ही राज्य सरकार को पुराने कर्ज चुकाने के लिए बड़ी रकम चाहिए थी, और इस कटौती ने स्थिति को और गंभीर बना दिया। ऐसे में सरकार के पास विकल्प कम रह गए और उसने खर्चे को नियंत्रित करने के लिए कई विभागों से पैसा वापस बुलाया।

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