25 साल पहले, एक टेलीविज़न शो ने देशभर के लाखों घरों में जगह बना ली थी “क्योंकि सास भी कभी बहू थी”।
25 साल पहले, एक टेलीविज़न शो ने देशभर के लाखों घरों में जगह बना ली थी “क्योंकि सास भी कभी बहू थी”। एक ऐसा शो, जिसने न सिर्फ इंडियन टेलीविज़न की TRP की परिभाषा बदली, बल्कि घर-घर की बातचीत के मुद्दे भी। आज जब एकता कपूर इस शो को नए सीज़न के साथ लौटा रही हैं, तो सवाल सिर्फ मनोरंजन का नहीं, बल्कि बदलाव लाने का है। यह सिर्फ एक रीबूट नहीं, बल्कि एक सोच है जो दिल से निकली है और समाज के गहरे सवालों से टकराने की हिम्मत रखती है।
-नॉस्टेल्जिया नहीं, नई सोच है फोकस
एकता कपूर ने खुद स्वीकार किया कि जब इस आइकॉनिक शो को दोबारा लाने की बात उठी, तो उनका पहला रिएक्शन था, “नहीं!” वजह थी नॉस्टेल्जिया से मुकाबला न कर पाने का डर। और वाजिब भी था, क्योंकि हम सभी जानते हैं कि पुरानी यादों का मुकाबला नई चीजें शायद ही कर पाती हैं। लेकिन इसके बावजूद, एकता ने फैसला लिया कि शो को दोबारा लाया जाएगा मगर एक नई सोच और नई दिशा के साथ।
-कहानी सिर्फ घर की नहीं, समाज की भी है
जहां 2000 के दशक की “क्योंकि” ने बहुओं की आवाज़ को बुलंद किया था, वहीं 2025 का “क्योंकि” नए सवालों को उठाएगा। पैरेंटिंग में कंट्रोल और केयर के बीच का फर्क, रिश्तों में संवाद की कमी, घरेलू हिंसा जैसे मुद्दे, और समाज के वो सच जिन पर अक्सर चुप्पी साध ली जाती है यही बनेगा इस बार की कहानी का आधार।
-TRP की दौड़ से हटकर असर की ओर
इस बार न तो शो को 1000 एपिसोड्स तक खींचने का इरादा है, न ही सिर्फ टीआरपी के आंकड़ों की दौड़ में दौड़ने का। “क्योंकि” अब लिमिटेड एपिसोड्स में आएगा, मगर हर एपिसोड में एक मजबूत संदेश और सोच को जन्म देने का माद्दा होगा। एकता इसे एक “इम्पैक्ट प्रोजेक्ट” की तरह देख रही हैं, जो केवल एंटरटेनमेंट नहीं, बल्कि प्रेरणा भी देगा।
-‘क्योंकि’ की विरासत: एक क्रांति जो पर्दे से घर तक पहुंची
एक इंटरनेशनल रिसर्च का हवाला देते हुए एकता ने बताया कि 2000 से 2005 के बीच भारतीय महिलाओं की पारिवारिक बातचीत में भागीदारी काफी बढ़ी थी, और इसका श्रेय ‘क्योंकि’ और ऐसे ही कुछ शोज़ को जाता है। अब फिर से एक उम्मीद है कि यह शो टीवी को सिर्फ एक स्क्रीन नहीं, बल्कि सामाजिक संवाद का मंच बना देगा।
-अब बात सिर्फ बहू-सास की नहीं, पूरी पीढ़ी की होगी
“क्योंकि” का नया संस्करण सिर्फ घरेलू विवादों की पुरानी परछाइयों को दोहराने नहीं आ रहा, बल्कि आज की पीढ़ी को उन जटिल सवालों से जोड़ने आ रहा है, जिन पर अब भी बात करना टाला जाता है। एकता चाहती हैं कि डाइनिंग टेबल पर फिर से वही बातचीत शुरू हो जो एक समय इस शो ने शुरू की थी। फर्क बस इतना है कि अब मुद्दे और गंभीर, और सोच और गहरी होगी।