भारत लगातार अपनी रक्षा क्षमताओं में लगातार इजाफा कर रहा है।
नई हाइपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल से ज्यादा सपीड और दूरी तय करने में सक्षम है. मौजूदा ब्रह्मोस की सपीड मैक 3 (करीब 3,675 किमी/घंटा) है, और वहीं ET-LDHCM मैक 8 लगभग 11,000 किमी/घंटा की रफ्तार से उड़ान भर सकती है. ब्रह्मोस की शुरुआती मारक क्षमता 290 किलोमीटर थी, जिसे बाद में बढ़ाकर 450 किलोमीटर किया गया, लेकिन ET-LDHCM की रेंज सीधे 1,500 किलोमीटर तक बताई जा रही है. इससे भारत की रणनीतिक स्ट्राइक क्षमता में बड़ा इजाफा होगा.
मौजूदा दुनिया के हालात जैसे इज़रायल-ईरान संघर्ष और भारत-पाकिस्तान के बिगड़ते रिश्ते को देखते हुए भारत अपनी मिसाइल प्रणाली को और मजबूत कर रहा है. इसमें ब्रह्मोस, अग्नि-5 और आकाश सिस्टम को अपग्रेड करना भी शामिल है.
हाइपरसोनिक तकनीक, एक बड़ी छलांग
ET-LDHCM, यह स्क्रैमजेट इंजन से चलता है, ये पारंपरिक रॉकेट इंजन की जगह पर वायुमंडलीय ऑक्सीजन का इस्तेमाल करता है. जिससे इसे हाई स्पीड और लंबी दूरी मिलती है. इसकी कम ऊचाई पर उड़ने की क्षमता इसे रडार से भी बचने में मदद करती है.
यह मिसाइल 1,000 से 2,000 किलोग्राम तक का पेलोड ले जा सकती है, और पारंपरिक के साथ-साथ परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है. इसे जमीन, समुद्र या वायु से लॉन्च किया जा सकता है. युद्ध के हालात में यह अपनी दिशा भी बदल सकती है, जिससे यह दुश्मन के लिए और भी चुनौतीपूर्ण बन जाती है.
हाइपरसोनिक उड़ान के दौरान मिसाइल का तापमान 2,000 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है, जिसे झेलने के लिए इसे खास डिजाइन किया गया है. यह तकनीक केवल रूस, अमेरिका और चीन के पास ही ऑपरेशनल स्तर पर मौजूद है. अगर भारत का यह परीक्षण सफल रहा, तो वह इस खास क्लब में शामिल होने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा. ET-LDHCM का मकसद खासतौर पर पाकिस्तान को कड़ा संदेश देना और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करना है.