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Punjab Assembly में गरजे वित्त मंत्री Harpal Cheema, कहा- जल अधिकारों पर हुआ ऐतिहासिक अन्याय

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वित्त मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) में CISF तैनाती के केंद्र सरकार के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया।

पंजाब विधानसभा में आज राज्य के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) में CISF तैनाती के केंद्र सरकार के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया। चीमा ने इसे पंजाब की स्वायत्तता और जल अधिकारों पर सीधा हमला बताते हुए, विधानसभा में केंद्र और पूर्ववर्ती राज्य सरकारों द्वारा किए गए ‘ऐतिहासिक अन्यायों’ का खुलासा किया।
चीमा ने जल बंटवारे से जुड़े दस्तावेज़ों और समझौतों का हवाला देते हुए, केंद्र और अन्य राज्यों पर पंजाब के हक़ पर अतिक्रमण का आरोप लगाया। उन्होंने 1954 के उत्तर प्रदेश-पंजाब समझौते का ज़िक्र किया, जिसमें यमुना का दो-तिहाई हिस्सा पंजाब को देने की बात दर्ज थी। लेकिन 1966 में पंजाबी सूबा के गठन के समय इस समझौते की अनदेखी हुई, जिसे उन्होंने राजनीतिक दलों की “मिलीभगत” करार दिया।
-“रावी का पानी कहाँ जाता है?”
वित्त मंत्री ने 1981 के उस विवादास्पद जल समझौते की भी आलोचना की, जिसमें रावी नदी का बड़ा हिस्सा हरियाणा और राजस्थान को दिया गया, जबकि भूगोल के अनुसार ये नदी इन राज्यों से होकर नहीं बहती। उन्होंने सवाल उठाया कि पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री दरबारा सिंह ने इस समझौते को कैसे स्वीकार किया, और क्यों पंजाब को मात्र 4 मिलियन एकड़ फीट पानी तक सीमित कर दिया गया?
-SYL नहर और जल संघर्ष
चीमा ने सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर पर दशकों से जारी विवाद पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कैसे यह नहर पंजाब के युवाओं के संघर्ष, बलिदान और राजनीतिक उठापटक की कहानी रही है, लेकिन इसका समाधान आज तक नहीं हो पाया। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अब केंद्र को एक नया प्रस्ताव सौंपा है, जिसमें पंजाब को यमुना का 60% पानी देने की मांग की गई है।
-BBMB में CISF तैनाती पर विरोध
वर्तमान में बीबीएमबी सुरक्षा को लेकर चल रहे विवाद पर बोलते हुए चीमा ने कहा कि पंजाब पुलिस पिछले 70 वर्षों से इस सुरक्षा व्यवस्था को बख़ूबी निभा रही है। उन्होंने सवाल किया कि CISF की तैनाती क्यों की जा रही है, जिससे राज्य को सालाना लगभग ₹50 करोड़ का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ेगा?
उन्होंने खुलासा किया कि 2021 में कांग्रेस की अगुवाई वाली तत्कालीन सरकार ने ही चुपचाप CISF को मंज़ूरी दी थी। चीमा ने इस कदम को केंद्र और कांग्रेस की “साझी साजिश” करार दिया, जिसका उद्देश्य पंजाब के जल संसाधनों पर से नियंत्रण छीनना है।
-BBMB में ऑडिट का सवाल
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि बीबीएमबी में पिछले 70 वर्षों से कोई ऑडिट नहीं हुआ। हाल ही में पंजाब सरकार ने बोर्ड के 104 करोड़ रुपये रोक दिए हैं और एक स्वतंत्र ऑडिट की मांग की है। उन्होंने पिछली सरकारों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि बिना पारदर्शिता के लगातार फंड देना पंजाब के हितों की अनदेखी है।
-बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र पर प्रतिक्रिया
विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा द्वारा बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र विस्तार को लेकर उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए चीमा ने कहा कि यह निर्णय पहले ही कांग्रेस शासन में लिया जा चुका था। उन्होंने बाजवा पर पलटवार करते हुए कहा, “अब यू-टर्न लेकर राजनीति करना उनकी आदत बन चुकी है।”

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